खेतों का आधुनिकीकरण करने और महिलाओं को खेती से अधिक मात्रा में जोड़ने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल का तरीका अपनाया जा रहा है। केंद्र सरकार ने महिलाओं के निजी जीवन के साथ खेतों में काम करने वाले लगने वाले अधिक समय को देखते हुए ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करने का फैसला लिया। इसी को देखते हुए उत्तर प्रदेश की ग्रामीण महिलाएं, एक तरफ जहां ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग लेंगी, वहीं इस ड्रोन तकनीकी का इस्तेमाल खेती के लिए भी करेंगी। खेती में महिलाओं की सुविधा के लिए ड्रोन के इस्तेमाल का तरीका राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिला सहायता समूहों ने इस काम को आगे बढ़ाने का निर्णय लेते हुए कार्रवाई शुरू की है। आइए जानते हैं विस्तार से।
500 हजार महिला किसानों को कृषि ड्रोन
हाल ही में केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि 15 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों को नए रोजगार विकल्प के लिए कृषि ड्रोन दिया जाएगा। इसके लिए 500 महिला स्वयं सहायता समूहों कृषि ड्रोन दिया जाएगा। इस ड्रोन की सहायता से महिलाएं खेतों में दवाइयों का छिड़काव कर सकेंगी। साथ ही ड्रोन की सहायता से फसलों की रखरखाव के साथ खेती से जुड़े कामों के लिए निगरानी भी रखने में आसानी होगी।
ऐसे मिलेगी ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग
महिला किसानों को सबसे पहले ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद उन्हें ड्रोन के लिए कम किस्तों में ऋण भी दिया जाएगा। मान जा रहा है कि ड्रोन के जरिए आसान तरीके से खेती करके महिला किसानों बड़े स्तर पर आर्थिक लाभ होगा। ड्रोन से प्रत्येक महिला स्वयं सहायता समूह को हर महीने एक लाख के करीब की आय होगी। इसके प्रदेश की कृषि तकनीक एग्रो- टेक को भी बढ़ावा दिया जाएगा। महिलाओं को ड्रोन खरीदने के लिए 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी। महिलाओं को इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र और प्रशिक्षण केंद्र प्रशिक्षित करेंगे।
ड्रोन से होगी महिलाओं के लिए खेती आसान
ड्रोन के इस्तेमाल से खेती करना महिलाओं के लिए आसान हो जाएगा। खेती के समय रसायन के छिड़काव का कार्य भी ड्रोन के जरिए होगा। ड्रोन के इस्तेमाल से सबसे बड़ा फायदा समय को लेकर होगा। ड्रोन के कारण बारीकी से फसलों पर ऊपरी और अंदरूनी सतह पर छिड़काव किया जा सकता है, इससे फसलों के सेहत का अच्छी तरह से ध्यान रखते हुए खेती को सफल बनाया जा सकता है। साथ ही ड्रोन की सहायता से कहीं पर भी रहकर खेती की रखवाली का काम आसानी से किया जा सकता है। देखा जाए, तो खेती के दौरान ड्रोन का इस्तेमाल महिला किसानों के लिए खेती को कम समय में सरल और उपयोगी बनाएगा।
हरियाणा की पहली ड्रोन पायलट निशा सोलंकी
हरियाणा सरकार ने प्रदेश के किसानों को ड्रोन से खेती की ट्रेनिंग देने के लिए पायलट निशा सोलंकी को चुना है। हरियाणा की पहली महिला ड्रोन पायलट निशा सोलंकी महिला और पुरुष किसानों को ड्रोन से खाद छिड़कने का प्रशिक्षण देगी। निशा केवल एक सप्ताह में महिलाओं को ड्रोन से खेती करने का तरीका बतायेंगी। यह एक सप्ताह का कोर्स है। इस कोर्स के पूरा होने के बाद किसानों को इसके लिए लाइसेंस मिलेगा। किसान किराए पर भी स्प्रे ड्रोन चला सकते हैं। ज्ञात हो कि निशा ने एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग की है। इसके बाद, उन्होंने ड्रोन पायलट बनने का फैसला लिया।
ड्रोन बनेगा महिला किसानों के लिए आधुनिक हथियार
माना जा रहा है कि ड्रोन महिला किसानों के लिए आधुनिक हथियार बनेगा। महिला किसानों के लिए इससे आमदनी के कई रास्ते खुलेंगे। एग्रीकल्चर सेक्टर में ड्रोन टेक्नोलॉजी की सहायता से मौसम का सही पूर्वानुमान लगाने के साथ सिंचाई की बेहतर सुविधा और कीटनाशकों का प्रभावी छिड़काव , फसल के स्वास्थ्य के साथ खेती के कुशल तरीके को भी मॉनिटरिंग भी की जा सकती है।
शिमला में भी महिला किसानों की ड्रोन ट्रेनिंग शुरू
शिमला में भी ड्रोन ट्रेनिंग के लिए महिलाओं का चयन किया जा रहा है। शिमला के ऊना के बढेड़ा गांव की रजनी बाला का चयन सबसे पहले ड्रोन ट्रेनिंग के लिए किया गया है। वे ड्रोन ट्रेनिंग के लिए चयनित होने वाली पहली महिला हैं। प्रदेश में महिलाओं को ड्रोन ट्रेनिंग मुफ्त में दी जा रही है, वहीं पुरुषों को इसके लिए कीमत चुकानी होगी। इसके साथ ही प्रदेश में महिलाओं के लिए ड्रोन की खेप अलग से होगी।। साथ ही प्रत्येक ड्रोन की कीमत 12 लाख के करीब होगी।
कृषि के क्षेत्र में इन महिला वैज्ञानिकों ने भी दिखाया है कमाल
डॉ तेजस्विनी, बेंगलुरु में भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर) में सजावटी और औषधीय फसल प्रभाग की प्रमुख वैज्ञानिक हैं और जहां तक कृषि क्षेत्र में इनकी उपलब्धियों के बारे में डॉ तेजस्विनी और उनकी टीम ने उच्च उपज देने वाले गेंदे के फूल और गुलाब की कई किस्में विकसित की हैं, जो कि एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर हैं। वहीं, कमला जयंती के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है, क्योंकि इन्होंने बिना किसी रसायन का उपयोग किए फसलों से आम कीटों को हटाने के काम पर फोकस किया है। इनके अलावा, साइंटिस्ट मीरा पांडे ने मशरूम उगाने के लिए कृषि-अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली को शुरू किया। वहीं, रेखा एक ऐसी साइंटिस्ट हैं, जो ऐसी चीज बनाने की कोशिश कर रही हैं, जो केलों को कीड़ों से बचाएं।
Image credit : @nishasolanki