बात एकता की हो या फिर एकल चलने की महिलाएं किसी भी मामले में किसी से पीछे नहीं हैं, वहीं ग्रामीण महिलाएं खुद को घर की चारदीवारी से आजाद करके आर्थिक तौर पर खुद को व्यापक स्तर पर मजबूत कर रही हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार की महिलाएं इस मामले में सबसे आगे हैं। एक नहीं, बल्कि कई सारे ऐसे उदाहरण मौजूद हैं, जो कि यह बता रहे हैं कि कैसे महिलाएं लघु उद्योग के जरिए साल में लाखों और करोड़ों की कमाई कर रही हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
बंजर जमीन पर खेती
बिहार के गया जिले के वन क्षेत्र बांकेबाजार के बेला गांव में बीस एकड़ खेत में लेमनग्रास की खेती की जा रही है। इस खेती का सारा भार महिलाएं उठा रही हैं और इससे साल में लाखों की कमाई कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि महिलाएं जिस जमीन पर लेमनग्रास की खेती कर रही हैं, वह पहले बंजर मानी गई थी, लेकिन यहां की महिलाओं ने सामूहिक होकर इस बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने की जिम्मेदारी और जवाबदारी अपने हाथ में ली और नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया।
टर्न ओवर 50 लाख रुपए
यह भी जान लें कि इस खेत में खेती करने से लेकर लेमनग्रास की सुरक्षा का जिम्मा भी महिलाओं ने उठा रखा है। लेमग्रास से तेल निकालने की भी मशीन लगाई गई है। महिलाओं ने अपनी एक कंपनी गठित की है। गांव से जुड़ी 1090 महिलाएं इस कंपनी की सदस्य हैं। उनकी इस कंपनी का टर्न ओवर 50 लाख रुपए के करीब है। हर महिला की हर महीने 5 से 10 हजार की कमाई होती है।
ऐसे हुई कंपनी की शुरुआत
दिलचस्प है कि इस कंपनी की शुरुआत आंगवबाड़ी सेविका द्रौपदी देवी ने की थी। एक के बाद एक करके उन्होंने अपनी इस कंपनी में गांव की महिलाओं को जोड़ा। नतीजा यह हुआ है कि एक हजार से अधिक महिलाएं स्वावलंबी बन गई हैं। यह भी बता दें कि इस कंपनी के जरिए न सिर्फ लेमनग्रास की खेती होती है, बल्कि मशरूम की भी खेती लगातार की जा रही है। साथ ही अगर किसी महिला को खेती के दौरान किसी भी तरह की शारीरिक समस्या होती है, तो इसके लिए तत्काल चिकित्सा भी उपलब्ध है। वाकई, खेती करती हुई ये महिलाएं कई लोगों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।
बकरी पालन से हजारों की कमाई
पटना जिले मसौढ़ी की 100 से अधिक महिलाओं ने भी बकरी पालन का व्यवसाय शुरू किया है, वहीं दरभंगा की साढ़े तीन हजार महिलाओं ने ढाई करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी है, जो महिलाएं बकरी पालन का काम कर रही हैं, वे 50 से 60 हजार की कमाई कर रही हैं। ये सारी महिलाएं बकरी वाली दीदी के नाम से लोकप्रिय हैं। उल्लेखनीय है कि इन महिलाओं के पति दूसरे शहर में नौकरी करते हैं, लेकिन महिलाएं अपने पैर पर खड़े होकर खुद को आर्थिक तौर पर मजबूत बना रही हैं।
24 लाख का शेयर कैपिटल
साल 2016 में महिलाओं ने मिलकर बकरी पालन कंपनी की शुरुआत की थी। तब से लेकर अभी तक 17 हजार से अधिक बकरियां इनके पास हैं। इस कंपनी का शेयर कैपिटल 24 लाख के करीब बताया जा रहा है। ये महिलाएं बकरियों का पालन करने के साथ उन्हें बेचती हैं और साथ ही उनका इलाज भी करवाती हैं। इन महिलाओं को पशु सखी भी पुकारा जाता है।
50 लाख प्रतिमाह का व्यवसाय
बिहार के नालंदा की स्मिता ने 14 साल तक एक कंपनी में नौकरी की। इसके बाद उन्होंने अपने गांव में फूड प्रोसिसिग यूनिट की नींव रखी। चैनपुर गांव में स्थित अनंतजीत फूड्स सी सीईओ स्मिता ने गांव की 80 प्रतिशत महिलाओं को सशक्त बनाने का जिम्मा अपने हाथ में लिया और इसे पूरा भी किया है, हालांकि कोरोना माहौल के दौरान उनके व्यवसाय पर गहरा असर पड़ा फिर उन्होंने यूपी के हाथरथ स्थित तपोवन फूड्स प्राइवेट कंपनी के साथ करार किया और कई मसालों का पेस्ट बनाना शुरू किया। वक्त के साथ स्मिता के कंपनी ने 50 लाख प्रतिमाह का बिजनेस स्थापित कर दिया। वाकई, एक महिला कई सारी महिलाओं को सशक्त बना सकती है।
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