नए साल में ऐसी कई नयी शुरुआत हो रही है, जिनमें महिला सशक्तिकरण की झलक साफ नजर आ रही है, ऐसे में राजस्थान का गांधी नगर रेलवे स्टेशन महिला कर्मचारियों द्वारा संचालित भारत का पहला गैर-उपनगरीय स्टेशन बन चुका है और यह बहुत ही सरानीय और महिलाओं के लिए गौरवान्वित होने का मौका है। जी हां, यह स्टेशन एक ऐसा स्टेशन है, जहां महिलाएं ही संचालन कर रही हैं। यह स्टेशन उत्तर पश्चिम रेलवे (NWR) के जयपुर डिवीजन के अंतर्गत आता है। और उल्लेखनीय है कि स्टेशन मास्टर से लेकर प्वाइंट्समैन तक, दिन-प्रतिदिन के सभी कामों की जिम्मेदारियों को महिला कर्मचारियों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है।
यह कदम रेलवे की महिला कर्मचारियों को सशक्त बनाने की दिशा में एक नायाब कोशिश है, ताकि वे रेलवे स्टेशन को संभाल सकें और उसका संचालन कर सकें। इस घोषणा को सबसे पहली बार 19 फरवरी, 2018 को घोषित किया गया था, हालांकि, तीन साल बाद भी, कर्मचारी चौबीसों घंटे समग्र संचालन को संभाल रहे हैं और इसके परिणाम काफी सकारात्मक और उत्साहजनक हैं।
गौरतलब है कि गांधी नगर रेलवे स्टेशन जयपुर-दिल्ली मार्ग पर स्थित महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में से एक है। यह रेलवे स्टेशन 50 से अधिक अनुसूचित ट्रेनों( रजिस्टर) का गवाह है और आस-पास के क्षेत्रों मालवीय नगर, जगतपुरा, बजाज नगर, टोंक रोड, जवाहर लाल नेहरु रोड आदि से हर दिन 15,000 से अधिक यात्रियों की आवाजाही होती रहती है।
फिलहाल उत्तर पश्चिम रेलवे क्षेत्र में 2,885 महिला कर्मचारी कार्यरत हैं। और ये महिलाएं, स्टेशन मास्टर, लोको पायलट, ट्रैक मेंटेनेंस, डीजल शेड, बुकिंग क्लर्क, वर्कशॉप इंजीनियर, खलासी, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) व राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की महिला कर्मी, ट्रेन टिकट सहित विभिन्न पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं, वे जहां परीक्षक (टीटीई) भी हैं, तो वे नर्सिंग स्टाफ, डॉक्टर और गार्ड भी हैं।
वहीं बताते चलें कि मध्य रेलवे का माटुंगा रेलवे स्टेशन महिला कर्मचारियों द्वारा चलाया जा रहा देश का पहला उपनगरीय रेलवे स्टेशन है, जिसका संचालन वर्ष 2017 से किया जा रहा है। यह स्टेशन मुंबई डिवीजन के अंतर्गत आता है, और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स 2018 में दर्ज किया गया है। ऐसे पहल इसलिए किये जा रहे हैं, ताकि एक ऐसा वातावरण बन सके, जहां महिला कर्मचारी अपने व्यक्तिगत और पेशेवर कल्याण और संगठन के विकास की ओर बेहतर काम कर सकें और अपना संपूर्ण विकास कर सकें।
वाकई, यह पहल महिला सशक्तिकरण की यह अद्भुत मिसाल है।
*Image credit : twitter ministry of railways