ग्रामीण भागों में महिलाओं के लिए रोजगार केवल अचार-पापड़ बनाने तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि वह अब ऑनलाइन मार्केट को कड़ी टक्कर देने की तैयारी कर रही हैं। जी हां, ऐसा ही कुछ कारनामा कर दिखाया है, राजस्थान के डूंगरपुर शहर की महिलाओं ने। यहां की महिलाओं ने खुद के लिए एक नया बिजनेस आइडिया इजात किया है, जिसकी सोच उन्हें एक ऐसे ऑनलाइन शॅापिंग ऐप से मिली है, जहां पर गोबर के कंडे( उपले/ गोयठा) को प्रति नग 25 से 30 रुपए में बेचा जा रहा है। बता दें कि गांव और शहरों में त्यौहार और पूजा-पाठ के मौके पर गोबर के कंडों का अधिक उपयोग होता है। खास तौर पर शहरों में यह आसानी से उपल्बध नहीं हो पाता है, ऐसे में अब इस बाजार पर अपना कब्जा जमाने की तैयारी डूंगरपुर शहर की महिलाओं ने किया है। उनका कहना है कि त्यौहारों में गोबर की मांग तेजी से होती है, ऐसे में उनका ध्यान इस पर है कि कैसे जल्द से जल्द अधिक संख्या में शहर के लोकल बाजार तक पहुंचाया जाए।
ऐसे में जबकि आने वाला बड़ा त्यौहार होली है और इस मौके पर होलिका दहन के लिए कंडों का उपयोग सबसे अधिक होता है। डूंगरपुर शहर के मित्र मंडल स्वयं सहायता समूत और उन्नति सेवा संस्थान से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि कुछ समय पहले हम कपड़े की थैलियां और अचार-पापड़ बेचकर खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं, लेकिन बाजार में अब इनकी बिक्री काफी कम हो चुकी है। इन महिलाओं ने नए बिजनेस आइडिया के लिए सोशल मार्केर्टिंग से लोगों से बात की, उन्हें ज्ञात हुआ कि किस तरह गोबर के कंडों को दोगुनी कीमत पर ऑनलाइन बेचा और खरीदा जा रहा है। इन महिलाओं को लगा कि होली का त्यौहार उनके इस नए बिजनेस के लिए अच्छी शुरुआत हो सकता है, ऐसे में महिलाओं ने आने वाले समय की मांग को देखते हुए गोबर के उपलों के निर्माण का कार्य शुरू किया। नतीजा यह हुआ कि बाजार से उनके इस बिजनेस को खरीदारों को अच्छी प्रतिक्रिया भी मिल रही है। डूंगरपुर शहर की महिलाओं ने न केवल गोबर के उपलों का बिजनेस शुरू किया, इसके साथ ही उन्होंने होली के त्यौहार को देखते हुए हर्बल रंगों को भी बनाने का काम शुरू कर दिया है। होली के रंगों को बनाने के लिए महिलाएं हल्दी, पालक और चकूंदर का इस्तेमाल कर रही हैं, इसी के साथ डूंगरपुर शहर की महिलाओं ने गोबर के उपलों और रंगों की कीमत को ऑनलाइन की कीमत से काफी कम देर पर बेच रहीं हैं। डूंगरपुर शहर की महिलाओं ने एक मिशाल पेश करते हुए यह बताया है कि कैसे वह भारत सरकार के वोकल फोर लोकल की सोच को आगे बढ़ा रही हैं।
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