छत्तीसगढ़ के रायपुर के जंगलों को महिलाएं पूर्ण रूप से बचाने की कोशिशों में जुटी हुई हैं और अनोखे काम कर रही हैं, जी हां, उन्होंने अपनी पहचान हरे रंग की साड़ी को रखा है। वे बेलतरा सर्किल के अंतर्गत जय मां शारदा महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं हैं। दरअसल, ये महिलाएं जंगल के महत्व को अच्छी तरह से समझ रही हैं और इसे आग से बचाने के लिए आगे बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं और वनकर्मियों के साथ अपनी भागीदारी दिखा रही हैं और खास बात यह भी है कि इसके लिए वे कोई भी फीस नहीं ले रही हैं। गौरतलब है कि इस इलाके में वन विभाग द्वारा कोशिश की जा रही है कि अग्नि सीजन जिसकी शुरुआत हो चुकी है, इन वनों को अग्नि से बचाना विभाग की प्राथमिकता हो गई है और यह एक जरूरत बन चुकी है कि 15 जून तक वनों को अग्नि से बचाया जाए। इस काम के लिए लगातार जागरूकता अभियान भी चलाये जा रहे हैं और इससे ही ग्रामीण महिलाएं काफी अधिक जुड़ गई हैं। इस अभियान के बारे में सबसे अच्छी बात यह रही कि वनमंडल बिलासपुर के अंतर्गत जय मां शारदा महिला समूह की महिलाओं ने जंगल को आग की लपटों से बचाने के लिए खुद आगे आकर वन विभाग के सामने अपना प्रस्ताव रखा। अच्छी बात यह रही कि उनके इस कदम की सराहना की गई और उन्हें जंगल बचाने के लिए प्रशिक्षित किया जाये। यह भी दिलचस्प बात है कि वन विभाग द्वारा हरियाली को दर्शाते हुए महिलाओं को हरे रंग की साड़ी को प्रतीक दिया गया है। बता दें कि मशीला बाई सोरठे, अनारकली आयाम, सोनम बाई, सत कुमारी मरावी, उमा महंत व जानकी बाई उइके जैसी महिलाओं ने इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया है।
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