लखनऊ के लखीमपुर खीरी में ग्रामीण महिलाएं केले के रेशे के उत्पादन से व्यवसाय करके खुद को सशक्त बना रही हैं। याद दिला दें कि केले के पेड़ से फल निकालने के बाद इसके तने को फेंक दिया जाता था, लेकिन इस तने में ढेर सारे रेशे होते हैं। इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के एक ग्रामीण संगठन ने केले के तने से होने वाले व्यवसाय का गठन का किया है। इसके जरिए केले के पेड़ों के कचरे को फाइबर में परिवर्तित किया जा सकता है, जिसे बाद में कार्ड, साड़ी, चटाई, बेल्ट, साड़ी, कारपेट और घर के अन्य सामान में ढाला जाता है। लखीमपुर की महिलाएं केले के रेशे के जरिए एक तरफ जहां केले के रेशे के कचरे का उपयोग कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके लिए रोजगार के अवसर भी खुल रहे हैं। इसके लिए स्वयं सहायता समूह के जरिए 40 महिलाओं को केले के रेशे के काम का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। पहले यह सभी महिलाएं तीन से चार के समूह में चिप्स और अन्य घर के बने नाश्ते से जुड़ी चीजों को बेचने का व्यवसाय चलाती थीं, जिससे उनकी नियमित आय भी नहीं होती थी, वहीं अब केले के रेशे के उत्पादन से वे सभी महिलाएं 500 से 600 रुपए प्रतिदिन कमाती हैं। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में करीब 100 से अधिक कृषि से जुड़ी महिलाएं केले के रेशे से जुड़ा व्यवसाय कर रही हैं। लखीमपुरी के खीरी के साथ हरियाणा, बिहार, हैदराबाद और गुजरात में भी केले के रेशे की आपूर्ति की जा रही है। इस व्यवसाय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मान्यता दी गई है। प्रधानमंत्री ने इस योजना को 'वेस्ट टू बेस्ट' का करार दिया है। दिलचस्य है कि व्यवसाय से जुड़ी यह अनोखी योजना कई सारी ग्रामीण महिलाओं को प्रेरणा देगी।
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