यह एक अच्छी पहल हुई है कि उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 4.80 लाख से अधिक महिलाओं को जल गुणवत्ता परीक्षण के लिए प्रशिक्षित किया गया है, वहीं लगभग 7.50 लाख युवाओं को राज्य में जल शक्ति मंत्रालय की एक पहल के तहत नलसाजी, विद्युत कार्यों और अन्य कौशल के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इस बारे में अधिकारियों ने जानकारी दी है। इस बारे में पीटीआई को विस्तार से यह भी जानकारी मिली है कि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जल परीक्षण के लिए, इन महिलाओं को फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) प्रदान किए गए हैं, जिसमें राज्य के प्रत्येक राजस्व गांव से पांच लोगों को यह प्रदान किया गया है। अधिकारियों का इस बारे में यह भी कहना है कि अब ये ग्रामीण महिलाएं गांव-गांव में पानी के स्रोतों की जांच कर रही हैं। उनके प्रयासों के कारण गांव के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है और जल से जुड़े या संबंधित रोगों पर नियंत्रण रखा जा रहा है। गौरतलब है कि अब तक 4.80 लाख से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण देने के अलावा राज्य के प्रत्येक गांव में लगभग 7.50 लाख युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा चुका है, जिससे उन्हें अपने ही गांवों में रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। यहां के अधिकारियों को यह भी जानकारी दी गई है कि अभी तक, युवाओं को प्लंबिंग, बिजली के काम, मोटर मैकेनिक, फिटर और राजमिस्त्री के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। वहीं प्रशिक्षण पूरा करने वालों को गांवों में स्थानीय पंप संचालक के रूप में रोजगार से जोड़ा जा रहा है।
अधिकारियों द्वारा जो आंकड़े दर्शाये गए हैं, उसमें यह भी जानकारी दी गई है कि 75 जिलों में से सबसे अधिक प्रशिक्षण जौनपुर में 23010, उसके बाद आजमगढ़ में 22836 सीतापुर में 20790, प्रयागराज में 20007, हरदोई में 16944, गोरखपुर में 16882 और गाजीपुर में 16081 में आयोजित किए गए हैं। वहीं बरेली में 15509 और देवरिया में 15405 है।
अच्छी खबर यह भी है कि उत्तर प्रदेश के अलावा सात जिले, जो उत्तरी मध्य प्रदेश की सीमा से लगे सूखे बुंदेलखंड क्षेत्र का गठन करते हैं, वहां भी बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, झांसी, जालौन, ललितपुर और महोबा में 37500 से अधिक लोगों को प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया है और आगे अन्य राज्यों में भी इसका विस्तार हो सकता है।
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