केरल में महिला जजों ने एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है, यह मुद्दा महिला जज की ड्रेस कोड को लेकर है। जी हां, केरल में लगभग 100 से अधिक महिला न्यायिक अधिकारियों ने इस बात को लेकर अनुमति मांगी है कि उन्हें चूड़ीदार पहनने की इजाजत मिले, क्योंकि साड़ी पहनकर, सफेद कॉलर वाली पट्टी और काला गाउन पहनकर आधी सदी से भी अधिक समय तक लगातार अदालत में आ रही हैं, लेकिन गर्मी के मौसम में चूंकि पसीने के कारण उन्हें साड़ी में दिक्कतें होती रही हैं, इसलिए वे मांग कर रही हैं कि इसमें कुछ बदलाव किये जाएं।
दरअसल, केरल के न्यायिक अधिकारियों के लिए ड्रेस कोड, जो 1 अक्टूबर, 1970 को लागू हुआ, यह निर्देश देता है कि महिलाएं बैरिस्टर या बैचलर ऑफ लॉ के गाउन के साथ हल्के रंग की क्षेत्रीय पोशाक, सफेद नरम कॉलर बैंड पहनेंगी। पुरुष बैरिस्टर या बैचलर ऑफ लॉ के गाउन के साथ काले ओपन-कॉलर कोट, सफेद शर्ट और सफेद कड़े या सॉफ्ट-कॉलर बैंड पहनेंगे। लेकिन इस साल, चूंकि तापमान लगभग 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जा रहा है और कई जगह अदालत में खुली हवा और स्वच्छ हवा का इंतजाम नहीं है और ऐसे में खचाखच भरे कोर्ट हॉल में काम करना महिलाओं के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है, क्योंकि गर्म और उमस भरी परिस्थितियों में उनके लिए साड़ी पहनना बेहद असहज और परेशान करने वाली स्थिति हो जाती है। ऐसे में कुछ महिला अधिकारियों का कहना है कि महिलाओं को हल्के रंगों के चूड़ीदार पहनने की अनुमति हो। कुछ अधिकारियों ने कहा कि यह सही समय है कि 53 साल पहले पेश किए गए ड्रेस कोड को संशोधित किया जाए। और इन्हीं कारणों से महिला अधिकारियों ने कोर्ट हॉल में चूड़ीदार पहनने की अनुमति के लिए केरल उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री से संपर्क किया है।
बात अगर दूसरे राज्यों की जाए तो तेलंगना एक ऐसा राज्य है, अधिकारियों ने बताया कि तेलंगाना के उच्च न्यायालय ने हाल ही में महिलाओं को साड़ी के अलावा सलवार/चूड़ीदार/लंबी स्कर्ट/पतलून पहनने की अनुमति देते हुए ड्रेस कोड में संशोधन किया था। तेलंगाना की अदालत ने यह भी कहा था कि अधिकारियों का ड्रेस कोड उनके कार्यालय की गरिमा को ध्यान में रखते हुए होना चाहिए। सूत्रों की मानें तो उच्च न्यायालय के सूत्रों ने कहा कि केरल उच्च न्यायालय जल्द ही महिला अधिकारियों द्वारा दी गई दलीलों पर फैसला करेगा।
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