महिलाएं अब हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे में उच्च शिक्षा के क्षेत्र पर अगर गौर किया जाए, तो कुछ वर्षों में छात्रों और छात्राओं के नामांकन बढ़ने के साथ-साथ कॉलेज और यूनिवर्सिटी की संख्या में वृद्धि हुई है। जी हां, वर्ष 2020-2021 के दौरान पहली बार ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और अन्य स्तरों पर महिलाओं का नामांकन दो करोड़ के आंकड़े पार कर गया। देश में विशेष रूप से महिलाओं के लिए चलाये जा रहे विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ कर 17 हो गई है, जबकि 2014-15 में इस तरह की यूनिवर्सिटी की संख्या 11 हो गई थी। यह भी उल्लेखनीय है कि देश में उच्च शिक्षा में 100 पुरुषों पर दाखिला लेने वाली महिलाओं की संख्या 95 ही है। वहीं वर्ष 2016-2017 में यह आंकड़ा 88 था। यह भी गौरतलब है कि ग्रेजुएशन के स्तर पर सबसे ज्यादा दाखिला बीए में होते हैं। उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020-2021 के दौरान बीए में दाखिला लेने वालों में महिलाओं का जो प्रतिशत रहा वह 52 था, वहीं पुरुषों का 48 रहा। बीए (ऑनर्स), बीएससी और बीएड में आधी आबादी की संख्या अधिक थी, लेकिन बीकॉम, बीटेक और इंजीनियरिंग में महिलाओं का प्रतिशत 48. 5, 28. 7 रहा। यह भी एक उल्लेखनीय बात है कि महिलाओं के अधिक नामांकन वाले प्रमुख राज्यों में केरल, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तराखंड, तेलंगाना और तमिलनाडु हैं। लेकिन अगर बात उच्च शिक्षा के स्तर की होगी तो महिला और पुरुष नामांकन के बीच उच्चतम अंतर केरल में है।
बता दें कि राज्य सरकारों के अधीन यूनिवर्सिटी में 100 पुरुष के अंतराल में 108 महिलाएं हैं। वर्ष 2016-2017 के बाद से इन विश्वविद्यालय में दाखिला लेने वाले 100 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या में खास इजाफा नहीं हुआ है। लेकिन 2020-2021 में इन आठ अंकों में वृद्धि हो गयी। कॉलेज और विश्वविधालयों तक महिलाओं की पहुंच आसान होने से लगातार उच्च शिक्षा हासिल की है। वे हर साल ही अधिक संख्या में प्रोफेशनल कोर्सेज में दाखिला ले रही हैं।
वाकई, यह दिलचस्प बात है कि शिक्षा में यह बदलाव कार्यस्थलों पर महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने में एक अहम भूमिका निभाएगा और साथ ही इससे लैंगिक असमानता भी मिटेगी।
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