महिलाओं ने अपनी भागीदारी लगातार बढ़ाई है, उस हर क्षेत्र में, जिसे किसी दौर में केवल पुरुषों का क्षेत्र माना जाता था। ऐसे में एडिवाइजरी फर्म ग्रांट थॉर्नटन के हाल ही में किये गए सर्वे में जब सीनियर प्रबंधन पदों पर काम करने वाली महिलाओं की बात आती है, तो भारत इस लिहाज से 29 देशों में सातवें स्थान पर है। जी हां, महत्वपूर्ण रूप से, सीनियर प्रबंधन में भारत की महिलाओं की हिस्सेदारी वर्ष 2022 में वैश्विक औसत से अधिक है और यह 32 प्रतिशत की तुलना में 38 प्रतिशत पहुंच चुकी है। उल्लेखनीय यह भी है कि भारतीय कंपनियों में नेतृत्व की स्थिति में महिलाओं की यह हिस्सेदारी वर्ष 2017 में जो कि 17 प्रतिशत थी, उससे बढ़ कर दोगुनी से अधिक हो गई है।
इस बारे में विशेष सी चांडियोक, जो कि ग्रांट थॉर्नटन भारत के सीईओ हैं, उन्होंने एक वेबसाइट से हुई बातचीत में कहा है कि यह तथ्य भी सामने आया है कि भारत वैश्विक औसत से काफी आगे है और पांच साल पहले निम्न आधार से यह दर्शाता है कि कम समय में कितनी प्रगति संभव है। उन्होंने इस बारे में आगे कहा है कि भारतीय मिड-मार्केट कंपनियों में महिलाओं की बड़ी संख्या में नेतृत्व की भूमिका निभाने के साथ, मुझे विश्वास है कि इस प्रवृत्ति से और अधिक लैंगिक समानता आएगी।
सर्वेक्षण में कुछ दिलचस्प आंकड़े जो सामने आए हैं, जो स्पष्ट रूप से महिलाओं में नेतृत्व की भूमिका निभाने की बढ़ती आकांक्षा को दर्शाता है। गौरतलब है कि सर्वेक्षण में भाग लेने वाली 250 भारत-आधारित कंपनियों में से 55 प्रतिशत में महिलाओं को मुख्य कार्यकारी या प्रबंध निदेशक जैसे शीर्ष पदों पर रखा गया है। इस बारे में भी ग्रांट थॉर्नटन के अनुसार महामारी से उत्पन्न कई चुनौतियों के बावजूद, कई भारतीय फर्मों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में सुधार हुआ है, जिसमें वरिष्ठ प्रबंधन भूमिकाओं में महिलाओं के प्रतिशत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
यह बात भी उल्लेखनीय है कि पिछले आठ वर्षों में, प्रमुख बी-स्कूलों में छात्राओं की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बीटी-एमडीआरए इंडियाज बेस्ट बी-स्कूल्स सर्वे 2022 के अनुसार, देश के शीर्ष 25 प्रबंधन स्कूलों में छात्राओं की हिस्सेदारी वर्ष 2021-22 में संस्थानों में प्रवेश करने वाले बैचों में बढ़कर 34.5 प्रतिशत हो गई है, जो वर्ष 2014 में 27.7 प्रतिशत थी। हालांकि, 26 और 50 के बीच रैंक वाले बी-स्कूलों में नकारात्मक आंकड़े दिखते हैं, वर्ष 2014-15 में महिला छात्रों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से गिरकर पिछले वर्ष 33 प्रतिशत हो गयी। हालांकि, शीर्ष 51-100 रैंक वाले स्कूलों में एमबीए की महिला उम्मीदवारों का दबदबा है। इस अवधि में, 51 और 75 के बीच रैंक वाले बी-स्कूलों में उनकी हिस्सेदारी 37 प्रतिशत से बढ़कर 43.5 प्रतिशत हो गई है, और 76 और 100 के बीच रैंक वाले बी-स्कूलों में यह 45.5 प्रतिशत है, जो कि बेहद सकारात्मक आंकड़े हैं।
एक नजर अगर देश के प्रमुख बी-स्कूलों पर भी डाली जाए, तो लगभग हर शीर्ष प्रबंधन स्कूलों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़कर 30 प्रतिशत से अधिक हो गई है। भारतीय प्रबंधन संस्थान बंगलुरु ने जहां अपने प्रबंधन कार्यक्रम में महिला छात्रों की सबसे अधिक भागीदारी दर्ज की, जिसमें 37 प्रतिशत से अधिक महिला छात्र शामिल थीं। जबकि आईआईएम कोझिकोड में, वर्ष 2020-22 के लिए इसके 492 छात्रों में से 52 प्रतिशत महिलाएं थीं, जो कि एक बेहतरीन संकेत है कि बिजनेस की पढ़ाई के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है।