उत्तराखंड की महिलाओं की आत्मनिर्भरता को अब नाइट शिफ्ट का भी सहारा मिलने वाला है। जो महिलाएं नाइट शिफ्ट करते हुए रोजगार चाहती थीं उनके लिए सरकार ने सुविधाओं के साथ नियम भी लागू किये हैं। बता दें कि इस प्रदेश में संगठित क्षेत्र में महिलाओं की भागीदार इस वक्त सात प्रतिशत है, जबकि असंगठित क्षेत्र में यह आंकड़ा 55 प्रतिशत है। महिलाओं को रोजगार के लिए प्रेरित करने के लिए सरकार ने नाइट शिफ्ट में महिलाओं की भागीदारी बढ़ावा दिया है। साल 2018 में त्रिवेंद्र सरकार में कारखाना अधिनियम के तहत कारखानों में महिलाओं के लिए इस तरह के प्रावधान किए गए थे। इसी से प्रेरित होकर महिलाओं को भी अब नाइट शिफ्ट करने की अनुमति दे दी गई है।
यही नहीं, महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी यहां श्रम विभाग ने कुछ नियम लागू किये हैं। जैसे, नाइट शिफ्ट में अकेली महिला काम नहीं करेगी, बल्कि उनके साथ अन्य दो महिलाओं को भी काम पर रखा जाएगा। महिलाओं के लिए कंपनी में अलग से आराम करने की जगह भी होगी और अगर, महिला के पास बच्चा है तो शिशु कक्ष भी अनिवार्य होगा।
अब बात आती है महिला की सुरक्षा की। इस पर भी सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं और हर ऑर्गनाइजेशन में यौन उत्पीड़न रोकने के लिए समिति गठित करने के लिए कहा है। यह इसलिए कि अगर कोई यौन उत्पीड़न की शिकायत आए, तो इस पर तत्काल कार्रवाई की जा सके।
यहां वर्क सेप्स में होने वाले छोटे अपराधों के लिए तीन महीने की जेल की सजा या पांच लाख जुर्माना था। इस पर भी सरकार ने सख्त कार्रवाई करते हुए जेल की सजा को हटाकर जुर्माना पांच लाख रूपये से दस लाख कर दिया है।
अब तक नाइट शिफ्ट की अनुमति न मिलने पर कई महिलाएं परेशान थीं और अब इन सभी को रोजगार के साथ-साथ सुरक्षा और सुविधाएं भी मिलेंगी, जिससे आस-पास की अन्य महिलाएं भी प्रेरित होंगी।