मुजफ्फरपुर की सीहो गांव निवासी बबीता गुप्ता ने कई ग्रामीण महिलाओं के लिए मिसाल कायम की है। जी हां, उन्होंने प्लास्टिक के कचरे से उपयोगी वस्तु बनाकर खुद के जीवन में रोशनी भरी है। इसी के साथ वह कई अन्य महिलाओं के लिए भी मिसाल बन गई हैं। बबीता गुप्ता के इसी हुनर को देखते हुए उन्हें भारत सरकार ने राष्ट्रपति पुरस्कार देने का निर्णय लिया है।ज्ञात हो कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बबीता गुप्ता को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की तरफ से 'सुजल शक्ति सम्मान 2013' से सम्मानित किया जाएगा। हालांकि बबीता गुप्ता के लिए मिसाल बनने का सफर काफी कठिनाई भरा रहा है। इसकी शुरुआत बबीता गुप्ता के पति के दिव्यांग होने के साथ हुई है। पति के बीमारी के कारण बबीता के परिवार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। ऐसे में बबीता ने फैसला किया वह खुद अपने पैरों पर खड़े होकर परिवार के लिए सहारा बनेंगी। काफी समय पहले लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत मुजफ्फरपुर के सकरा में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई और प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की गई। बबीता ने इसी इकाई से जुड़कर स्वयं सहायता समूह ( जीविका) की सदस्य बनने का निर्णय लिया।इसी दौरान अपनी ट्रेनिंग में बबीता गुप्ता ने प्लास्टिक कचरे से उपयोगी वस्तु बनाने का काम सीखा। बबीता ने प्लास्टिक कचरे को लेकर सूती और ऊनी धागों का इस्तेमाल करके कई सारी सजावट की सामग्री बनाने का काम करती हैं, जैसे- कृत्रिम फूल के बुके फूलदानी, लटकनी, पाउच, बैग और आदि। इसके बाद खरीदारी के लिए इन सभी सामग्री को बाजार भेजा जाता है। अपने काम में पारंगत होने के बाद बबीता ने गांव की अन्य महिलाओं को भी प्लास्टिक से उपयोगी सामान बनाने के लिए प्रशिक्षित कर रही हैं। बता दें कि बबीता गुप्ता ने अभी तक अपने गांव की 24 से अधिक महिलाओं को जीविका के लिए काम सीखा चुकी हैं। बबीता के इस जज्बे को देखते हुए जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी-सह-लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान ग्रामीण के मिशन निदेशक राहुल कुमार का कहना है कि बबीता को राष्ट्रपति पुरस्कार मिलने से कई सारी दूसरी महिलाओं को प्रेरणा मिलेगी और साथ ही इस काम को लेकर उनका उत्साह भी बढ़ेगा।
*image credit : twitter/ @Lohiya Swachh Bihar Abhiyan