कोविड-19 महामारी ने लोगों के काम करने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है। वर्ष 2022 में मूनलाइटिंग, ऑफिस में वापसी और क्वाइट क्विटिंग जैसे कई ट्रेंड्स ने कर्मचारियों की और कई कंपनी की जिन्दगी बदल दी। इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि वर्कप्लेस का ये ट्रेंड 2023 में भी भारत में बना रहेगा। जानिए क्या हैं ये ट्रेंड।
मूनलाइटिंग: तेजी से बढ़ी है
मूनलाइटिंग, जो इस साल सबसे चर्चित ट्रेंड्स में से एक था। इसका अर्थ है मौजूदा नौकरी के साथ-साथ एक और नौकरी करना, आम भाषा में इसे फ्रीलांसिंग कहा जाता है। बड़ी कंपनियों के बिजनेस लीडर्स इस मुद्दे को लेकर काफी मुखर रहे हैं। आईटी इंडस्ट्री के दिग्गज इस ट्रेंड के सबसे कठोर आलोचक रहे हैं। विप्रो ने मूनलाइटिंग कर रहे 300 कर्मचारियों को निकाल दिया। टीसीएस और इंफोसिस भी इस प्रथा के आलोचक रहे हैं। लेकिन, बावजूद इसके, पर्दे के पीछे ही सही, फ्रीलांसिंग का यह ट्रेंड अब भी जारी है।
रिमोट वर्किंग
कोविड के दौरान वर्क-फ्रॉम-होम का कल्चर आम बन गया है, लेकिन इस साल आईटी कंपनियों सहित कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को फिर से ऑफिस बुलाया। हालांकि, अधिकांश कंपनियां और कर्मचारी वर्क-फ्रॉम-होम को न्यू नॉर्मल मानती हैं और फिर से ऑफिस शुरू करने में सहज नहीं है। 2023 में और भी कंपनियां होंगी जो कर्मचारियों पर रोजाना ऑफिस आने का जोर देंगी। एक सर्वे द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, ई-कॉमर्स (95%) और निर्माण और रियल एस्टेट (90%) में अधिकांश नियोक्ता अपने कर्मचारियों को ऑफिस से काम करवाना पसंद करते हैं, जबकि आईटी क्षेत्र में 37% नियोक्ता इसकी योजना बना रहे हैं।
क्वाइट क्विटिंग (Quite Quitting)
क्वाइट क्विटिंग, इस ट्रेंड को आसान शब्दों में समझें तो इसका मतलब है कि उतना ही काम करना, जितने की आपको सैलरी मिलती हो। काम उतना ही हो जिससे कि आपकी नौकरी और निजी जीवन में संतुलन बरकरार रहे। काम उतने ही घंटे जितना की निर्धारित हो। यानी कि ऑफिस के लिए केवल उतना ही काम जितना नौकरी में बने रहने के लिए जरूरी है, जिससे आपकी मानसिक स्थिति सही रहे और आप पर तनाव न आए। एक रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल 33% नियोक्ताओं का मानना है कि सामान्य नौकरी से संतुष्टि, बोरियत, चुनौतियों की कमी, आदि क्वाइट क्विटिंग को बढ़ावा दे रहे हैं, जबकि 21% का मानना है कि यह नौकरियों के लिए कमिटमेंट की कमी है।