कोई महिला यह तय कर ले कि उसे कुछ कर ही दिखाना है, तो फिर वह कर ही दिखाती हैं, ऐसे में मध्य प्रदेश के डिंडोरी की 27 वर्षीय आदिवासी महिला लहरी बाई की भी कहानी कुछ ऐसी ही हैं, जिन्होंने अपने 'बीज बैंक' के साथ मिलेट्स की जमीनी स्तर की ब्रांड एंबेसडर बनकर एक नया मुकाम हासिल किया।
दरअसल, लहरी ने कम उम्र से ही बाजरे के बीज की किस्मों को इकट्ठा करना और संरक्षित करना शुरू किया था, तब उनका लोग मजाक बनाते थे। लेकिन लहरी बाई ने इसकी चिंता नहीं की, उन्होंने पूरी तरह से फोकस होकर काम किया। उन्होंने सबसे पहले तो शादी नहीं करने का निर्णय लिया और बीज संरक्षण शुरू किया। इसके लिए उन्होंने बाजरे के स्वास्थ्य लाभ को समझते हुए उनकी खेती पर भी ध्यान दिया और आज वह एक मुकाम हासिल कर चुकी हैं। लहरी अपने माता-पिता के साथ कच्चे मकान में रहती है, जहां घर के एक खास स्थान को बीज बैंक के रूप में बदल दिया गया है, जहां विभिन्न मोटे अनाजों के 30 से अधिक दुर्लभ बीजों का संरक्षण किया जाता है। लहरी खुद अपने खेत में रोपण का काम करती हैं और उन्हें अपने गांव में खेती के लिए किसानों को मुफ्त में वितरित करती हैं। आश्चर्यजनक बात है कि उन्होंने मढ़िया, सालहर, सभा, कोदो, कुटकी, सनवा, कुट्टू और चीना जैसी बाजरा की दुर्लभ किस्मों का संरक्षण किया है। लहरी ने अपनी दादी से प्रभावित होकर यह काम शुरू किया था, जो कि बाजरा खा कर स्वस्थ रहती थी। लहरी और उनके परिवार को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन मिला था, हालांकि, उनकी खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए, वे अपने गैस सिलेंडर को फिर से भरने में सक्षम नहीं हैं और अब चूल्हे पर खाना बनाने लगे हैं। उनके गांव में भी पानी की किल्लत है। मध्य प्रदेश सरकार ने ज्वार, बाजरा और रागी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित किया था, और इस बारे में राज्य के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी कहा है कि वे राज्य में बाजरा को बढ़ावा देंगे। खासतौर से उन्होंने यह भी कहा कि डिंडोरी में, हमारी महिला स्वयं सहायता समूहों ने बहुत पहले कोदो कुटकी का प्रसंस्करण शुरू कर दिया था। अब हम बाजरा को बढ़ावा देंगे।
ऐसे में यह कहा जा सकता है कि लहरी बाई का प्रयास असफल नहीं होगा।
*Image used is only for representation of the story