महिलाओं की सेहत को लेकर विश्व स्तर पर कई सारे अध्ययन लगातार हो रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच जरूरी है कि एक बार फिर से कुछ अहम अध्ययनों पर रोशनी डाली जाए। खासतौर पर महिलाएं अक्सर कई सारी खबरों के बीच खुद की सेहत से जुड़ी कई सारी जरूरी जानकारी को अनदेखा कर देती हैं। इस वजह से हम आपके लिए कुछ चुनिंदा और अहम सेहत से जुड़ी जानकारी लेकर आए हैं, जिस पर कामकाजी महिलाओं से लेकर घरेलू महिलाओं को अपना ध्यान केंद्रीत करना चाहिए। आइए जानते हैं विस्तार से कि महिलाओं से जुड़े बीते दिनों में कौन से जरूरी अध्ययन रहे हैं।
महिलाओं में एनीमिया का जोखिम
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट अनुसार 12 साल से 21 साल की महिलाओं और लड़कियों के आयरन की कमी से एनीमिया का जोखिम चार गुना अधिक बढ़ गया है। ठीक ऐसा ही एक अध्ययन राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण ने किया है। इसके अनुसार, भारत में 55 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हो सकती हैं। इस अध्ययन में यह भी माना गया है कि महिलाओं में एनीमिया का सबसे साधारण कारण खून की कमी का हो सकती है। खासतौर पर पीरियड्स के दौरान निकालने वाला रक्त के कारण भी यह समस्या जन्म ले सकती है। सही खान-पान न होने के कारण भी भोजन में आयरन वाली चीजें शामिल न होने से भी एनीमिया का जोखिम बढ़ रहा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कम उम्र में भोजन की कमी से कई अन्य बीमारी भी जन्म ले सकती है। इसलिए जरूरी है कि सभी महिलाओं को सालाना रक्त और आयरन की जांच करानी चागिए।
नमक खाने से महिलाओं में शारीरिक समस्या
विश्व स्वास्थ्य की एक रिपोर्ट अनुसार महिलाएं नमक सेंसिटिव होती हैं। महिलाओं में नमक की मामूली मात्रा भी उनके शरीर में ब्लड प्रेशर को बढ़ाने और घटाने में प्रमुख भूमिका निभाती है। अध्ययन अनुसार ज्यादा नमक खाने वाली महिलाओं को एक तय समय के बाद पुरुषों की तुलना में अधिक शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
महिला कर्मचारियों का मानसिक स्वास्थ्य अधिक प्रभावित
हाल ही में सामने आयी एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार दफ्तर में महिला कर्मचारियों का मानसिक स्वास्थ्य पुरुष कर्मचारियों के मुकाबले अधिक प्रभावित होता है। अध्ययन में पाया गया है कि भारत में 2 में से एक कर्मचारी किसी न किसी तरह की मानसिक स्वास्थ समस्या के जोखिम में रहता है। हेडस्पेस हेल्थ की एक रिपोर्ट अनुसार 83 प्रतिशत सीईओ और 70 प्रतिशत कर्मचारियों ने थकान, तनाव और मानसिक परेशानी के कारण छुट्टी ली है। यह भी ज्ञात हुआ है कि 41 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 56 प्रतिशत महिलाएं किसी न किसी प्रकार की जोखिम का सामना कर रही हैं। इस अध्ययन के अनुसार माना जा रहा है कि महिलाओं पर जिम्मेदारी का अधिक दबाव होता है। इस वजह से उन्हें परिवार और काम को संभालने के दौरान कई सारी मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।
महिलाओं में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा
ग्लोबल डायबेटिक कम्युनिटी की वेबसाइट के अनुसार महिलाएं अगर प्लास्टिक की बोतल में पानी पीती हैं, तो उन्हें टाइप 2 डायबिटीज का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। इस अध्ययन में माना गया है कि प्लास्टिक में फटालेट्स केमिकल होता है। इसके संपर्क में आने से महिलाओं में डायबिटीज का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। ज्ञात हो कि 1300 महिलाओं पर इस अध्ययन को किया गया था। इस अध्ययन को पूरा करने के लिए 6 साल तक महिलाओं की सेहत की लगातार जांच की गई है। इसके बाद पाया गया कि जो भी महिलाएं फटालेट्स केमिकल के संपर्क में आयी हैं, उनमें से 63 प्रतिशत महिलाएं डायबिटीज से पीड़ित पाई गई हैं।