कचरा और कबाड़ के सामानों को फिर से उपयोग करके देश के भिन्न शहरों में महिलाओं ने अपने लिए रोजगार की तलाश कर ली है। यह सभी महिलाएं न सिर्फ कचरे का उपयोग कर घरेलू सामग्री तैयार कर रही हैं, बल्कि स्वच्छ भारत अभियान में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि बीते कुछ सालों से लगातार महिलाएं कबाड़ के सामान से नई सामग्री बनाने का प्रशिक्षण ले रही हैं और इस कचड़े से रोजगार तलाशने के काम में बड़ी संख्या में महिलाएं लगातार शामिल होती जा रही हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
उत्तर प्रदेश में कचरे की जैविक खाद से महिलाओं को मिला रोजगार
उत्तर प्रदेश के बहराइच में महिला सशक्तिकरण का नया उदाहरण सामने आया है, जहां पर कचरे से जैविक पदार्थ बनाकर महिलाएं आर्थिक तौर पर विकास कर रही हैं। इस जिले के 1041 ग्राम पंचायतों से निकलने वाले कचरे से जैविक खाद बनाने का निर्णय लिया गया है। गांव की महिलाओं को जैविक खाद निकालने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि खाद बिक्री होने के बाद महिलाओं को खाद की कमाई का आधा हिस्सा दिया जाएगा। बचे हुए पैसे ग्राम पंचायत के पास जायेंगे, जिससे गांव के विकास का कार्य किया जाएगा। माना जा रहा है कि जैविक खाद के निर्माण से 20 लाख से अधिक आबादी को फायदा होगा। कचरे से जैविक खाद बनाने के काम को इस तरह अंजाम दिया जाएगा कि सबसे पहले ई-रिक्शा के जरिए सफाई कर्मी कचरे को आरआसी केंद्र तक पहुंचायेंगे। इसके बाद महिलाएं जैविक और अजैविक कचरे को अलग करके उसे अलग से बने हुए चैंबर में डालेंगी। इसके बाद रसायन और गोबर की मदद से जैविक खाद तैयार की जाएगी। वाकई, जिस तरह से कचरे का उपयोग जैविक खाद बनाने के लिए किया जा रहा है और यह सराहनीय है।
खराब लकड़ी से उत्तर प्रदेश की महिलाओं ने बनाएं खिलौने
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की महिलाओं ने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना तहत खराब और बेकार लकड़ी के खिलौने और अन्य घरेलू सामग्री बनाने का कार्य शुरू किया है। कई महिलाओं को इसके लिए प्रशिक्षण देकर रोजगार दिया जा रहा है। महिलाओं को उनके इस काम के लिए रेलवे प्रशासन से सहायता भी मिल रही है। रेलवे प्रशासन महिलाओं को स्टेशनों पर स्टॉल लगाने की मंजूरी दी है, इससे महिलाएं स्टेशन पर दुकानें शुरू करके अच्छी कमाई कर रही हैं। महिलाएं बेकार पड़ी हुई लकड़ियों से बच्चों के कई प्रकार के खिलौने, मेज और रसोई के सामान जैसे-चकला, बेलन और चिमटा बना रही हैं। महिलाएं हर दिन स्टेशन पर स्टॉल लगाकर 5 से 10 हजार की कमाई करती हैं। वाकई, महिलाओं को रोजगार के लिए मिल रहा सहयोग उन्हें आर्थिक तौर पर मजबूती दे रहा है।
छत्तीसगढ़ में महिलाओं की कचरे से कमाई
छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले की महिलाएं कचरे से कमाई कर रही हैं। स्वच्छ भारत अभियान के तहत कोरिया जिले की महिलाएं कचरा उठाकर हर महीने हजारों की कमाई कर रही हैं। इन सभी महिलाओं के काम और जज्बे की जमकर तारीफ भी की जा रही है। दिलचस्प है कि स्वच्छता दीदी बनकर यह सभी महिलाएं कचरा को भिन्न ग्रामीण इलाकों में जाकर जुटाकर एख जगह लाने का कार्य करती हैं। साथ ही वह सूखे और गीले कचरे को अलग भी करने का जिम्मा उठाती हैं। कचरा उठाने के लिए महिलाओं को ग्राम पंचायत से ई-रिक्शा भी मुहैया कराई गई है, जो कि उनके काम को सरल बना रहा है।
रायपुर में गांव के कचरे से महिलाओं की हजारों में कमाई
मनरेगा और स्वच्छ भारत मिशन के तहत छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले की ग्रामीण महिलाओं ने गांव की तस्वीर बदलने के साथ खुद के लिए आजीविका की भी तलाश कर ली है। यहां की महिलाएं कचरा संकलन करने का काम करके उसे अलग-अलग करती हैं। इसके बाद कचरे में मिले पैंकिग रैपर, प्लास्टिक के सामान और लोहे के कबाड़ को अलग करके बेच दिया जाता है। यह काम समूह की 12 महिलाओं द्वारा किया जा रहा है, जहां पर हर महीने कचरे के काम से हजारों की कमाई कर रही हैं। इन महिलाओं को हर महीने लगभग 15 हजार तक की मजदूरी दी जाती है, इससे महिलाएं अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं।
ओडिशा की महिलाएं रद्दी कागज से कई तरह के उत्पाद बना रही हैं
ओडिशा के क्योंझर जिले की 60 से अधिक महिलाएं रद्दी कागज से कई जरूरी सामान बनाकर उसकी बिक्री कर हजारों की कमाई हर महीने कर रही हैं। ये महिलाएं रद्दी कागज से हैंगिग, फूलदान,गुड़िया और घर के कई जरूरी सामान बना रही हैं। बता दें कि साल 2010 से यह महिलाएं लगातार रद्दी कागज से कई तरह की सामग्री बनाने का काम कर रही हैं। ओडिशा के बाजारों में इनकी मांग सबसे अधिक है। दिलचस्प है कि इन सामानों को बनाने के लिए आटा और इमली के बीज के पाउडर को पानी के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जा रहा है। पूरी तरह से प्राकृतिक तरीके से इन सामानों का निर्माण किया जा रहा है।