आज जहां महिलाएं भिन्न प्रभावशाली क्षेत्रों में देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, ऐसे में एक चौंकाने वाली एक रिपोर्ट सामने आयी है कि घरेलू कामकाज अब भी महिलाओं की ही जिम्मेदारी बना हुआ है। पूर्ण हाल ही में एक सर्वेक्षण से महिलाओं के घरेलू कामकाज पर बात की गई है। इस सर्वेक्षण में शामिल 35 फीसदी लोगों का कहना है कि महिलाओं को घर के कामों को प्राथमिकता देनी चाहिए, वहीं 65 फीसदी लोगों का मानना है कि महिलाओं को बच्चों के पालन-पोषण के लिए समान रूप से जिम्मेदार होना चाहिए। इस सर्वेक्षण में महिलाओं की भूमिका को लेकर विस्तार से बात की गई है। इसमें सर्वेक्षण में 42 प्रतिशत लोगों का कहना है कि महिलाओं को यह अधिकार है कि उन्हें किससे शादी करनी है और 11 प्रतिशत लोग महिलाओं की मंजूरी को शादी के लिए जरूरी नहीं मानते हैं। इसके साथ ही 12 प्रतिशत लोगों को यकीन है कि महिलाओं के पास खुद की शादी को लेकर फैसला लेने की क्षमता नहीं होती है। इस सर्वेक्षण में यह भी आंकड़ा सामने आया है कि मिजोरम में 53 प्रतिशत, तमिलनाडु में 8 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 45 प्रतिशत के करीब लोगों का मानना है कि महिलाओं को घर पर काम को प्राथमिकता देनी चाहिए। दिल्ली में 41 प्रतिशत महिलाओं ने घरेलू महिला बनने की भूमिका पर असहमति जताई है। इस सर्वेक्षण में देखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुष सोचते हैं कि शहरी क्षेत्रों में उनकी तुलना में एक महिला को घर पर रहना चाहिए। इस सर्वेक्षण में निराशाजनक बात यह है कि 42 प्रतिशत पुरुष और 43 प्रतिशत महिला उत्तरदाता इस बात से असहमत हैं कि लड़कियों को शिक्षित करने की तुलना में लड़कों को शिक्षित करना अधिक महत्वपूर्ण है, लेकिन 63 प्रतिशत पुरुष और 66 प्रतिशत महिलाएं इससे सहमत हैं कि बच्चों के पालन-पोषण के लिए पुरुषों और महिलाओं की समान जिम्मेदारी होनी चाहिए। बता दें कि यह सर्वेक्षण असम, जम्मू और कश्मीर, केरल, मिजोरम, नागालैंड,पंजाब, तमिलनाडु,त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड,पश्चिम बंगाल और दिल्ली में किया गया। गौरतलब है कि महिलाओं को लेकर इस तरह का सर्वेक्षण यह बताता है कि देश में अभी भी महिलाओं को लेकर अभी-भी लोगों की सोच पूरी तरह से बदली नहीं हुई है।