सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में स्तन कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर दूसरा सबसे अधिक प्रचलित कैंसर है। इसके अलावा, दुनिया के सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों का लगभग एक-चौथाई हिस्सा भारत में है।
सीईआरवीएवीएसी (CERVAVAC), भारत के पहले सजातीय रूप से डिजाइन किए गए वैक्सीन का 1 सितंबर को भारत में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र सेंटर में स्वागत किया गया। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और केंद्र के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने देश को घातक कैंसर से बचाने के लिए भारत में पहला टीका देने के लिए साथ काम किया है। इस पर आगे काम करने के लिए रैपिड ग्लोबल कैंसर एलायंस के तहत आईएचडब्ल्यू काउंसिल द्वारा "इंडिया अगेंस्ट सर्वाइकल कैंसर- रोल ऑफ इंडियाज फर्स्ट इंडिजिनस वैक्सीन" नामक एक वर्चुअल मीटिंग की प्लानिंग की गई है।
रॉलिन्स इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ, एमोरी यूनिवर्सिटी, अटलांटा में एपिडेमियोलॉजी के एडजंक्ट प्रोफेसर और चिप (CHIP) फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. रवि मेहरोत्रा ने चर्चा का हिस्सा होने के दौरान कहा “यह विकास एक सपना सच होने जैसा है। हम सभी मिलकर, सही और सतर्क तरीके से एक होकर सर्वाइकल कैंसर को खत्म कर सकते हैं।’’
हाल के अनुमानों के अनुसार, हर साल लगभग 1.25 लाख महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का निदान किया जाता है और भारत में इस प्रकार के कैंसर से लगभग 75 हजार रोगियों की मृत्यु हो जाती है। एक और चौंकाने वाला अनुमान बताता है कि मानव पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) के चलते देश में 83 प्रतिशत से अधिक आक्रामक गर्भाशय ग्रीवा( इनवैसिव सर्वाइकल) कैंसर होता है और दुनियाभर में सिका आंकड़ा 70 प्रतिशत से भी ज्यादा है।
डॉ राज शंकर घोष, वरिष्ठ सलाहकार; वैक्सीन डिलीवरी, इंडिया कंट्री ऑफिस, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने कहा कि "टीके अकेले काम नहीं करते हैं, बल्कि बेहतर कार्यान्वयन और जागरूकता के लिए अन्य योजनाओं के साथ इसे मिलाना चाहिए।” इन्होंने सर्वाइकल कैंसर की शीघ्र जांच के महत्व पर भी जोर दिया।
भारत में सर्वाइकल कैंसर के लिए स्वदेश में डिजाइन किया गया वैक्सीन, CERVAVAC, HPV टाइप 16 और 18 के खिलाफ एक आशाजनक और मजबूत कदम के रूप में देखा जाता है, जो दुनिया में तबाही मचा रहा है, जिससे दुनिया भर में 70 प्रतिशत इनवेसिव सर्वाइकल कैंसर के मामले सामने आते हैं। बाल्को मेडिकल सेंटर, नया रायपुर की चिकित्सा निदेशक डॉ भावना सिरोही ने कहा कि "सर्वाइकल कैंसर और स्तन कैंसर भारत में महिलाओं में होने वाले सबसे आम कैंसर हैं। टीकों की उपलब्धता के बावजूद, इस मुद्दे पर जागरूकता पैदा करने के लिए वैक्सीन लेने की हिचकिचाहट से संबंधित सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाओं को दूर करते हुए सर्वाइकल कैंसर के लिए स्क्रीनिंग लगातार की जानी चाहिए।”