Aditya L-1(आदित्य एल-1) के सफलतापूर्वक लॉन्चिंग के बाद एक बार फिर से इसरो की महिला वैज्ञानिकों की चर्चा हो रही है, जो कि इस मिशन के पीछे का प्रमुख चेहरा बन गई हैं। सूर्य मिशन (आदित्य एल-1 ) की विशेष लॉन्चिंग के पीछे की ये सभी महिलाएं विश्व पटल पर देश की गरिमा बढ़ा रही हैं। इसरो की ये सभी महिला वैज्ञानिक आने वाली युवा पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन बन गई हैं, जो कि चांद और सूरज तक पहुंचने का सपना देखती हैं। ज्ञात हो कि इसरो ने अपने महत्वाकांक्षी सौर मिशन आदित्य एल-1 को लांच कर दिया है। यह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर लैगैंर्जियन बिंदु एल-1 पर रहकर सूर्य का अध्ययन करेगा। यह भारत का पहला सूर्य अध्ययन पर किया गया बड़ा प्रयास है। आइए जानते हैं विस्तार से।
महिला वैज्ञानिक निगार शाजी और अन्नपूर्णा सुब्रमण्यम
इसरो के सोलर मिशन आदित्य एल-1 को सफल बनाने में निगार शाजी और अन्नपूर्णा सुब्रमण्यम की भी मेहनत है। इन दोनों महिला वैज्ञानिकों ने सूर्य मिशन में अहम किरदार निभाया है। खबरों के अनुसार निगार शाजी इस मिशन की निदेशक रही हैं। उनके ही देख-रेख में इस मिशन को सफलतापूर्वक लांच किया गया। दूसरी तरफ इसरो वैज्ञानिक अन्नपूर्णा सुब्रमण्यम ने मिशन के उपकरणों को डिजाइन करने में शामिल रही हैं। उन्होंने इस बात का भी ध्यान रखा कि आदित्य एल-1 सही तरीके से काम करे।
किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं निगार शाजी
निगार शाजी के लिए सूर्य पर पहुंचना एक सपना था, जिसे उन्होंने आदित्य एल 1 मिशन के जरिए पूरा किया है। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली निगार शाजी तमिलनाडु के तेनकाशी जिले से हैं। सूर्य मिशन पर पहुंचना निगार शाजी के लिए एक बड़ी उपलब्धि रही है। कई सालों से वह इस मिशन को अपना सपना मानकर इसे पूरा करने में जुट गई थीं। इसरो में निगार भारतीय रिमोट सेंसिंग के साथ कई तरह की जिम्मेदारी निभा रही हैं। इससे पहले उन्होंने रांची के बिरला इंस्टीट्यूट से मास्टर्स पूरा किया है। साल 1987 में वह सतीश धवन स्पेस सेंटर से जुड़ीं और इसके बाद यूआर राव सैटेलाइट सेंटर का हिस्सा बनीं।
निगार शाजी इसरो रिमोट सेंसिंग प्रोग्राम में अहम
यह भी जान लें कि निगार शाजी इसरो के रिमोट सेंसिंग प्रोग्राम में भी अहम भूमिका निभा रही हैं। 59 साल की शाजी ने सेनगोट्टई के सरकारी स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की। उनके पास 35 सालों का अनुभव है। उन्होंने इमेज कंप्रेशन और सिस्टम इंजीनियरिंग पर कई खत लिखे हैं। अपने काम के तहत उन्होंने नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ कई अंतरिक्ष एजेंसियों का भी दौरा किया है।
वैज्ञानिक अन्नपूर्णा सुब्रमण्यम
आदित्य एल 1 की वैज्ञानिक अन्नपूर्णा सुब्रमण्यम केरल के पलक्कड़ जिले से हैं। उन्होंने आईआईए से अपनी पीएचडी पूरी की है। उन्होंने आदित्य एल-1 को सूर्य पर पहुंचने के लिए प्राथमिक उपकरण डिजाइन किए हैं। उन्होंने एक क्रोनोग्राफ डिजाइन किया है, जो कि हर समय सूरज को पूर्ण सूर्य ग्रहण में देखेगा। साथ ही उनके इस उपकरण से सूरज के अंदर के भागों को भी देखने में सहायता करेगा। वह स्टार संरचनाओं, मैगेलैनिक क्लाउड और गैलेक्टिक संरचनाओं क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं।
कौन हैं आदित्य एल-1 की वैज्ञानिक ऋचा पाठक
इसरो के आदित्य एल-1 मिशन के लिए वैज्ञानिक ऋचा पाठक सूर्य मिशन एल 1 के इंजन डिजाइन करने वाली टीम में प्रोजेक्ट डायरेक्टर रही हैं। उत्तर प्रदेश के बांदा के चुंगी चौकी की रहने वाली ऋचा पाठक के पिता मध्य प्रदेश में जल विभाग पर अफसर पद पर कार्यरत रह चुके हैं। ऋचा पाठक साल 2006 से इसरो में वैज्ञानिक के रूप में जुड़ीं। इसरो में ही चार बार प्रमोशन लेने के बाद वह सूर्य मिशन का हिस्सा बन पाई हैं। ऋचा को अंतरिक्ष विज्ञान रिसर्च के लिए साल 2016 में मेरिट अवार्ड भी मिल चुका है। यह भी दिलचस्प है कि इसरो ने ऋचा को सम्मान देने के लिए भारतीय डाक सेवा में स्टांप योजना के तहत डाक टिकट भी जारी किया है। वाकई यह किसी भी महिला के लिए बड़ी उपलब्धि है।