अमूमन यह बातें कि महिलाएं अच्छी ड्राइवर नहीं होती हैं, ऐसी गलतफहमी लोगों के जेहन में हैं। लेकिन लगातार ऐसी महिलाएं, जिनमें जज्बा जबरदस्त है, वे ऐसे-ऐसे कारनामे कर रही हैं कि लोग उन्हें देख कर प्रेरित हो सकते हैं। कुछ ऐसा ही कमाल करके दिखा रही हैं, केरल के मुलन्थुरूथी गांव में रहने वालीं महिलाओं ने। जी हां, यहां पहली बार होम मेकर होते हुए भी ट्रैक्टर चलाने की कला सीखी है। ये महिलाएं राज्य की उन महिलाओं में से एक हैं, जो ट्रैक्टर ड्राइविंग सीख रही हैं। यह केंद्र के एक महत्वकांक्षी प्रोग्राम महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना का ही हिस्सा है।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ब्लॉक पंचायत, कृषि से जुड़ीं महिलाओं के लिए रोजगार की संभावना को बढ़ाना है। साथ ही उन्हें ऐसे टेक्निकल कामों में भी ट्रेनिंग देना है, जिससे वह किसी भी काम को करने में असहज महसूस न करें। यहां की महिलाओं का कहना है कि उन्हें कभी इस बात पर यकीन नहीं था कि वे कभी हाई पॉवर हेवी गाड़ियां चला पाएंगी। लेकिन अब उनका कहना कि उनके परिवार वाले भी हैरान हैं कि वह ऐसी हेवी गाड़ियां कैसे चला ले रही हैं। इन महिलाओं का यह भी मानना है कि वह अपने ऑटो रिक्शा चला कर भी घर के के लिए आय का स्रोत बन रही हैं, अब इस तरह की एक और विधा सीख कर भी काफी कुछ नया कर सकती हैं। महिलाओं का यह भी कहना है कि वे चाहती हैं कि अब कार चलाना भी सीख लें, ताकि कभी जरूरत पड़ने पर वह परिवार वालों के काम आ सके।
महिलाओं द्वारा यह हुनर सीखे जाने पर, वहां के मधुमक्खी पालक से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि ट्रैक्टर सीखने से महिलाएं, काफी हद तक खेतों के कामों में मदद ले पाएंगी और इसका इस्तेमाल खेती के उत्पादन को बढ़ाने में होगा। साथ ही ऐसे खेत, जो कभी इस्तेमाल नहीं किये गए हैं। अब ट्रैक्टर की मदद से वे वैसे खेतों में जा पाती हैं, जो अधिक इस्तेमाल नहीं किये गए हैं। अभी फिलहाल 10 महिलाओं ने यह ट्रेनिंग ली है। लेकिन आने वाले समय में और भी महिलाओं को जोड़े जाने की पूरी गुंजाइश हैं। यह ट्रेनिंग लगभग आठ दिनों के लिए हो रही हैं। अच्छी बात यह है कि परिवार वाले उन्हें सपोर्ट कर रहे हैं। साथ ही पंचायत भी उनके इस कदम को बढ़ावा दे रही है। एमकेएसपी के तहत, इसकी मदद से अगर कोई भी मुनाफ़ा होता है, तो सबकुछ महिलाओं को ही दिया जायेगा। दरअसल, दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत, एमकेएपी की यही कोशिश है कि महिलाओं को कृषि के क्षेत्र में बढ़ावा दिया जाये और उन्हें तरक्की मिले और उनके लिए यह एक आय का क्षेत्र बने, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। इसके लिए, वह सारी कोशिशें करने करने और कदम उठाने के लिए तैयार हैं।