भारत अपने 75 वें आजादी के जश्न को मनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। ऐसे में इससे अच्छी बात क्या होगी कि तिरंगे झंडे के निर्माण के माध्यम से महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका मूल रहा है। महिला सशक्तिकरण के लिहाज से हर दिन छोटे ही सही नए बदलाव हो रहे हैं, खासतौर से छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में कुछ न कुछ नया जरूर हो रहा है, ऐसे में महाराष्ट्र के जलगांव इलाके में भी कुछ ऐसा ही हुआ है, जो कि कई महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत की खबर है। जलगांव के जिले चालीसगांव में इस वर्ष आजादी की थीम ‘हर घर तिरंगा कैम्पेन’ की तर्ज पर ही एक पहल की गई है और इस पहल ने कई महिलाओं को सशक्त करने की कोशिश की है।
जी हां, हर दिन लगभग 47 महिलाओं को सिलाई के माध्यम से तिरंगा झंडा बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है और लगभग 800 तिरंगे, लगातार बनाये जा रहे हैं। स्वयं दीप दिव्यांग महिला संस्था वर्कशॉप लगातार महिला उत्थान के लिए काम कर रहे हैं। और उन्होंने इसकी पहल की है। खास बात यह है कि वर्ष 2008 में इस संस्था की शुरुआत हुई थी, जिन्होंने दिव्यांग को प्रोत्साहित करने का काम तो किया ही है। साथ ही ग्रामीण महिलाओं को आत्म निर्भर बनने का मौका दिया है।
संस्था की निदेशक मीनाक्षी निकम, खुद अपने आप में एक मिसाल हैं, जिन्होंने अपनी शारीरिक दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत बना ली और एक ऐसी संस्था की शुरुआत की, जिससे उनमें आत्मनिर्भरता आये।
इस बारे में उन्होंने बताया कि जब हमने हर घर तिरंगा, इस इसकी शुरुआत की थी, तब वह इस बात से वाकिफ थीं कि उन्हें जिला प्रशासन की तरफ से जब भी अनुमति मिलेगी, तो वह निर्धारित शर्तों और निर्देशकों के साथ ही आएगी। तो शुरुआत हमने कुछेक तिरंगों को बनाने से की। उन्होंने हमारे काम को देखा और फिर प्रशासन की तरफ से, हमारे वर्कशॉप का निरीक्षण किया, साथ ही हम कितने तिरंगे बना सकते हैं, इसके बारे में पूछा और फिर निर्माण करने की अनुमति दे दी। इसकी खास बात यह भी है कि जिला परिषद के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर पंकज आशिया इस पूरे मिशन में अपना मार्गदर्शन किया है।
वाकई, महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए और प्रोत्साहित करने के लिए, यह छोटी सी पहल, वह भी भारत की स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यह एक सराहनीय पहल है।