पूरे विश्व में 8 सितंबर का दिन अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2022 के रूप में मनाया जाता है। और इस साल इस दिवस का मुख्य थीम रखा गया है "ट्रांसफॉर्मिंग लिटरेसी लर्निंग स्पेसेस" है, जिसके अंतर्गत समाज के सभी वर्गों और उनकी सफलताओं के बीच साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा पूरे वर्षों में की गई विभिन्न पहलुओं पर चिंतन करने और उनकी सराहना करने की कोशिश की जा रही है।
प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, बच्चों को पढ़ने, लिखने और साहित्यिक अभिव्यक्ति के अन्य रूपों के माध्यम से उनके साक्षरता कौशल को विकसित करने के लिए प्रेरित करने और उन्हें ज्यादा से ज्यादा शामिल करने के लिए स्थापित कुछ कार्यक्रम निम्नलिखित हैं।
न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम (एनआईएलपी)
"न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम" को हाल ही में वित्तीय वर्ष 2022-2027 के लिए भारत के संघ द्वारा अनुमोदित किया गया है, ताकि देश भर में बिना पढ़े-लिखे लोग, जिनकी आयु 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र हैं, ऐसे लोगों के बीच साक्षरता बढ़ाने में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का समर्थन किया जा सके, जिसमें 5 करोड़ अनपढ़ लोग शामिल हैं। ‘’अल्पसंख्यकों के बीच साक्षरता’’, "वयस्क शिक्षा" को "सभी के लिए शिक्षा" बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। इस पहल का उद्देश्य छात्रों के बीच व्यावसायिक कौशल विकास के साथ-साथ वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, वाणिज्यिक कौशल, स्वास्थ्य देखभाल और जागरूकता, बाल देखभाल और शिक्षा, और परिवार कल्याण) को बढ़ावा देना है।
हर एक, किसी एक को पढ़ाएं कार्यक्रम
1983 में स्थापित, इच वन टीच वन चैरिटेबल फाउंडेशन एक विकास संगठन है, जो भारत के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में वंचित बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहा है और इसने देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 10,000 से अधिक बच्चों की मदद की है
"डिजिटल साक्षरता" को बढ़ावा देने की पहल
नीति आयोग की रिपोर्ट 75 वें भारत की आजादी के वर्ष के अंतर्गत जो रणनीति तैयार की गई है, उसके अनुसार, देश को 2022-2023 तक डिजिटल डिवाइड को खत्म करने की जरूरत है।
इस बारे में "राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन" (एनडीएलएम) और "डिजिटल साक्षरता अभियान" (दिशा) - सरकार ने डिजिटल साक्षरता में 52.50 लाख लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए 2014-2016 में इन योजनाओं को लागू किया। इन दो पहलों के तहत लगभग 53.67 लाख लोगों को प्रमाणित किया गया।
"प्रधान मंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान" (पीएमजीदिशा) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2017 में 6 करोड़ ग्रामीण परिवारों (प्रति परिवार एक व्यक्ति) को डिजिटल साक्षरता लाने के लिए इस योजना को अपनाया गया था। इसके तहत लगभग 5.78 करोड़ उम्मीदवारों का नामांकन किया गया है, 4.90 करोड़ को प्रशिक्षित किया गया है और 3.62 करोड़ को प्रमाणित किया गया है।
निपुण भारत योजना
स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने समग्र शिक्षा की केंद्र प्रायोजित योजना के तहत 5 जुलाई, 2021 को NIPUN भारत की शुरुआत की। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्राथमिक विद्यालय में सभी बच्चों के पास ग्रेड-स्तरीय पढ़ने, लिखने और गणित कौशल हों। मिशन ग्रेड 3 द्वारा बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता में योग्यता प्राप्त करने के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के लिए प्राथमिकताएं और प्राप्त करने योग्य एजेंडा भी निर्धारित करता है।
अल्पसंख्यकों के बीच साक्षरता को बढ़ावा देने की पहल
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी द्वारा 7 अप्रैल, 2022 को लोकसभा में दिए गए एक लिखित उत्तर के अनुसार, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों/लाभार्थियों के शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों को लागू करता है। यानी ईसाई, जैन, सिख, मुस्लिम, बौद्ध और पारसी। इसमें शामिल हैं बेगम हजरत महल राष्ट्रीय छात्रवृत्ति, यह योजना नौवीं से बारहवीं कक्षा में अल्पसंख्यक लड़कियों को साक्षर करने की कोशिश करती है, जिनकी पारिवारिक वार्षिक आय रुपये 2 लाख से कम है। इनकी अगर उपलब्धियों की बात करूं तो, वर्ष 2014-15 से अब तक 11.51 लाख अल्पसंख्यक लड़कियों को 722.05 करोड़ रुपये मिले हैं और मंत्रालय ने 2014-15 से अब तक 5.20 करोड़ से ज्यादा छात्रवृत्तियां मंजूर की गई है।
मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप (एमएएनएफ) योजना - इस योजना के तहत फेलोशिप एमफिल को प्रदान की जाती है। और पीएचडी शोध छात्र को। यह योजना विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा कार्यान्वित की जाती है और यूजीसी अधिनियम की धारा 2 (एफ) और 3 के तहत मान्यता प्राप्त सभी विश्वविद्यालयों / संस्थानों को कवर करती है। इनसे जुड़ीं उपलब्धियों की बात की जाये तो, 2014-15 के बाद से, नवीनीकरण के अलावा, 5882 नई फैलोशिप प्रदान की गई हैं।
पढ़ो परदेश - इस कार्यक्रम के तहत, छात्रों को ओवरसीज शिक्षा लोन पर इंटरेस्ट सब्सिडी दी जाती है या पीएचडी अध्ययन के लिए प्राप्त विदेशी शिक्षा ऋण पर ब्याज सब्सिडी प्राप्त होती है। इनसे जुड़ीं उपलब्धियों की बात करें, तो वर्ष 2014-15 से अब तक 15743 बेनिफिशरी(लाभार्थियों) को ब्याज सब्सिडी के भुगतान के लिए 130.42 राशि जारी की जा चुकी है।
नयी मंजिल - इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूल छोड़ने वालों को शिक्षित और प्रशिक्षित करना है। इनकी उपलब्धियों की बात की जाए तो, 2016-17 से इस पहल के तहत 98,697 बेनिफिशरी(लाभार्थियों) को 448.51 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास वित्त निगम (NMDF) की शैक्षिक ऋण योजना - यह सार्वजनिक उपक्रम अल्पसंख्यकों के लिए रोजगारोन्मुखी शिक्षा का समर्थन करने के लिए शैक्षिक ऋण योजना प्रदान करता है। घरेलू अध्ययन के लिए 20.00 लाख तक का ऋण और विदेशों में पाठ्यक्रमों के लिए 30.00 लाख 'तकनीकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों' के लिए उपलब्ध हैं। इनकी उपलब्धियों की बात की जाये तो वर्ष 2014-15 से 2020-21 तक 19,245 अल्पसंख्यक छात्रों को 252.45 करोड़ का शिक्षा ऋण मिला।
प्रधान मंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) एक केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) : प्रधान मंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) एक केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) है, जिसका लक्ष्य मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के माध्यम से निर्दिष्ट अल्पसंख्यक केंद्रित क्षेत्रों (एमसीए) में सामाजिक-आर्थिक स्थितियों और बुनियादी सुविधाओं में सुधार करना है। इनकी उपलब्धियों की बात की जाए तो, 1,550 स्कूल भवनों का निर्माण, 171 आवासीय विद्यालय, 6 जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी), 38 डिग्री कॉलेज, 01 मेडिकल कॉलेज, 01 यूनानी मेडिकल कॉलेज, 02 नर्सिंग कॉलेज, 01 पैरामेडिकल कॉलेज और 01 फार्मेसी कॉलेज, 01 कृषि कॉलेज, 691 छात्रावास, 23,094 अतिरिक्त कक्षा कक्ष, 239 विज्ञान प्रयोगशालाएं/पुस्तकालय और प्रयोगशालाएं उपलब्ध करवाना शामिल हैं।
साक्षरता मिशन में भारत का अब तक का सफर
भारत की स्वतंत्रता के बाद के 75 वर्षों में, देश में साक्षरता दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 1947 में महिलाओं और ग्रामीण आबादी की नामात्र भागीदारी के साथ देश की साक्षरता दर 12.7 प्रतिशत थी, जबकि हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग ने इसे वर्ष 2017-18 में 77.7% निर्धारित किया है। तुलनात्मक रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर 73.5 प्रतिशत थी, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 87.7 प्रतिशत थी। केरल उच्चतम साक्षरता दर वाले राज्य के रूप में पहचान करता है, जिसके 93% से अधिक नागरिक साक्षर हैं। भारत में साक्षरता और शिक्षा को विभिन्न बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें ड्रॉपआउट दर की वृद्धि, शिक्षा में लिंग अंतर और शिक्षा में एक महामारी से प्रेरित देरी शामिल है।