पर्यावरण की सुरक्षा और उसके प्रति जागरूकता हर किसी के लिए सबसे अहम है। जाहिर सी बात है कि अगर पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने का सीधा असर दुनिया पर होता है। ग्लोबल वार्मिंग, बाढ़ और भीषण गर्मी इसी बात का उदाहरण पेश करती है कि हम किस तरह पर्यावरण की अहमियत को ठीक से नहीं समझ पा रहे हैं। फिलहाल इस लेख के जरिए हम आपको पर्यावरण की उन खूबी से अवगत करा रहे हैं, जो कि पर्यावरण के महत्व को हमारे जीवन में और व्यापक जगह देती है। आइए विस्तार से जानते हैं पर्यावरण से जुड़ीं रोचक जानकारियों के बारे में ।
कहां से आया पर्यावरण शब्द
कहां से आया पर्यावरण और एन्वॉयरन्मेंट (Environment ) शब्द। इन दोनों शब्दों का जन्म कहां से हुआ है, पहले इसे समझने की कोशिश करते हैं। पर्यावरण शब्द का जन्म संस्कृत भाषा से हुआ है। पर्यावरण का संस्कृत भाषा के शब्द ‘परि’ और ‘आवरण’ को मिलाकर हुआ है। अंग्रेजी में एन्वॉयरन्मेंट शब्द का इजात फ्रेंच भाषा के ‘Environner’ शब्द से हुई है। इसका हिंदी में अर्थ होता है घिरा हुआ होना, जो कि पर्यावरण से पूरी तरह से मेल खाता हुआ है। यह भी जान लें कि पर्यावरण दिवस 5 जून, 1972 को स्वीडन के स्टॉकहोम में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में मनाया गया था।
वायु प्रदूषण से जुड़ी हैरान करने वाली जानकारी
वायु प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 70 लाख अकाल मृत्यु होती है। यह भी जान लें कि दस में से नौ लोग ऐसे हैं, जो कि अशुद्ध हवा में सांस लेते हैं। यह भी हैरान करने वाली रिपोर्ट है कि साल 1950 से 2017 के बीच 9.2 मिलियन टन प्लास्टिक का प्रोडक्शन किया गया था, जिसमें से 7 मिलियन टन बेकार हो गया है।
भारत अकेला ऐसा शहर
एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 20 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में केवल 13 शहर भारत के ही हैं। अगर आप एक टन कागज को रिसाइकल किया जाने पर 20 पेड़ों और 7 हजार गैलन पानी को सुरक्षित रखा जा सकता है। इससे कई महीने की बिजली की भी बचत होगी। दुखद है कि हर साल 100 मिलियन पेड़ों को काटा जाता है, वहीं अगर आप बिना पेपर के काम करती हैं, तो 1.4 ट्रिलियन पाउंड पेपर और 72800 पेड़ को बचाया जा सकता है।
जानवरों के लिए खतरा
कुछ समय पहले यह जानकारी सामने आयी थी कि बीते कई दशक से प्लास्टिक का उत्पादन तेजी से बढ़ा है और हर साल औसतन 40 करोड़ टन प्लास्टिक से कचरा पैदा होता है, जो कि मानव स्वास्थ्य, जल और जीवन को भी प्रभावित करता है। हम अगर किसी प्लास्टिक को कचरे में फेंकते हैं, तो इससे पूरा ग्रह दूषित हो जाता है। कचरे से जुड़ी यह भी जानकारी है कि कई बार गीले और सूखे कचरे को अलग किए बिना उसे फेंक दिया जाता है। जानवर इसे खा लेते हैं। इससे उनके जीवन को खतरा हो सकता है। ऐसे में हमारे द्वारा की गई थोड़ी-सी लापरवाही जानवरों के लिए खतरा हो सकता है।
पर्यावरण को लेकर लापरवाही
भारत उन कुछ देशों में शामिल है, जहां पर 1894 से वन नीति लागू है। इसे 1952 और 1988 के दौरान संशोधित किया गया। साल 2003 में कुल 2795 वर्ग किमी वन क्षेत्र की बढ़त हुई है। साल 2030 तक वायु प्रदूषण से मुख्य फसल की पैदावार में 26 प्रतिशत की कमी आने की उम्मीद है। यह भी जान लें कि घर पर किसी पार्टी के आयोजन करने के दौरान या फिर खाना बनाने के दौरान आप अगर प्लास्टिक के कचरे का कम इस्तेमाल करती हैं, तो इससे आप 260 प्रजातियों की जान बचा सकती हैं। यह भी रिपोर्ट सामने आयी थी कि हर साल प्रदूषण के कारण दो लाख करोड़ रुपए का नुकसान भारत को होता है।
पर्यावरण से जुड़े चौंकाने वाले अध्ययन
विश्व स्तर पर पर्यावरण से जुड़े कई तरह के अध्ययन होते रहते हैं। भारत में पर्यावरण का असर मानव जाति पर क्या पड़ रहा है। जून में यह रिपोर्ट सामने आयी थी कि ग्रामीण इलाकों में वायु प्रदूषण का बुरा असर पड़ रहा है। सीएसई की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आयी है कि भारत के ग्रामीण लोगों की औसत आयु 5 साल 2 महीने घट गई है। सीएसई ने इस रिपोर्ट को पर्यावरण, कृषि, स्वास्थ्य और आधारभूत संरचना के अनुसार तैयार किया है। इसी साल यह भी रिपोर्ट सामने आयी थी कि देश के 496 छोटे और बड़े शहर प्लास्टिक प्रदूषण के जोखिम का सामना कर रहे हैं।खासतौर पर मुंबई का डंपिंग ग्राउंड भी इस प्रदूषण की वजह बताई जा रही है।
प्लास्टिक प्रदूषण से नदी को खतरा
यह भी जान लें कि एक रिपोर्ट अनुसार तेलंगाना समग्र पर्यावरणीय प्रदर्शन के मामले में शीर्ष रैंक वाले राज्य के रूप में सामने आया है। इसकी वजह यह भी है कि बीते 9 साल में तेलंगाना में 300 के करीब के पौधे लगाए गए हैं, वहीं गंगा नदी विश्व की सबसे प्रदूषित 10 नदियों में शामिल है, इसकी वजह प्लास्टिक प्रदूषण है। इसी साल गंगा नदी में मिलने वाली मछलियों के सैंपल की जांच की गई। इन सारी मछलियों में से अधिक के पेट में प्लास्टिक मिला है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मछलियों के भोजन और पानी में प्लास्टिक प्रदूषण नदी का खतरनाक स्तर बताता है।