भारत के 75 वां अमृत महोत्सव में इस वर्ष महिलाओं ने जो योगदान दिया है, वह उल्लेखनीय हैं, एक तरफ जहां भारतीय महिलाएं हर दिन एक नया मिसाल कायम कर रही हैं। ऐसे में जब भारत आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव मना रहा है। महिलाएं हर दिन नया इतिहास रच रही हैं। एक तरफ जहां भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की सभी महिला सैनिकों ने हाल ही में उत्तराखंड-चीन सीमा पर 17,000 फीट की ऊंचाई पर 'आजादी का अमृत महोत्सव' के खास मौके पर एक स्पेशल पैट्रोल को पूरा किया और 'तिरंगा' लहराया, तो दूसरी तरफ अभिलाषा बराक भारतीय सेना की पहली महिला लड़ाकू पायलट बन गयी हैं।
भारत ने आजादी यूं ही हासिल नहीं की, इसमें महिलाओं का भी खास योगदान रहा है। और तब से लेकर अब तक, अपने मजबूत इरादों ने महिलाएं भारत का नाम ऊंचा ही कर रही हैं। एक बड़ी मिसाल बन कर ऐसे में उभरी हैं, कैप्टन अभिलाषा बराक। जी हां, अभिलाषा इस बात की उदाहरण हैं कि लड़कियां अगर इरादे बुलंद रखें, तो कुछ भी हासिल कर सकती हैं। अभिलाषा बराक भारतीय सेना की पहली महिला लड़ाकू पायलट बन गयी हैं। आर्मी एविएशन कॉर्प्स में शामिल होने से पहले अभिलाषा, नासिक में कॉम्बैट आर्मी एविएशन ट्रेनिंग स्कूल में कोर्स को पूरा करने में लगी हुई थीं। एक साल की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद, आज उन्हें महिला लड़ाकू पायलट के रूप में सेना से जुड़ने का मौका मिला है।
अभिलाषा के बारे में बता दें कि वह हरियाणा की रहने वाली हैं और उनके पिता रिटायर्ड कर्नल हैं। जाहिर है, उन्हें इस तरफ बढ़ने के लिए यह बात काफी प्रभावित कर गई होगी। बराक ने 2016 में दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक के साथ स्नातक की पढ़ाई पूरी की। बराक को सितंबर 2018 में एयर डिफेंस कोर में कमीशन किया गया था। खास बात यह है कि उन्हें नासिक स्थित ट्रेनिंग स्कूल में ही सेना के विमानन महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सूरी की ओर से 36 पायलटों के साथ प्रतीक चिन्ह विंग्स से सम्मानित किया गया।
उन्होंने आर्मी एयर डिफेंस यंग ऑफिसर्स कोर्स में ए ग्रेडिंग, एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट और एयर लॉज कोर्स में 75.70 प्रतिशत, और अपने पहले प्रयास में ही प्रमोशनल परीक्षा, पार्ट बी पास कर ली थी।
अभिलाषा को 2072 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन सेकेंड फ्लाइट की जिम्मेदारी दी गई है, जो कि ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर संचालित करता है। यह भी काफी उल्लेखनीय बात है कि भारतीय नौसेना में काफी लंबे समय से महिला अधिकारी हेलीकॉप्टर उड़ा रही हैं। इसकी शुरुआत हुए बस एक साल ही हुए हैं। इससे पहले तक आर्मी एविएशन में केवल कागजी या जमीनी कार्य ही सौंपे जाते थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जब महिलाओं को सेना में स्थाई कमीशन के लिए उपयुक्त माना, उनके ऐतिहासिक आदेश ने महिलाओं को एक नयी उड़ान दे दी। वाकई, अभिलाषा इस बात की मिसाल हैं कि ऐसा कोई काम नहीं है, जो लड़कियां नहीं कर सकती हैं, बस उन्हें एक हौसले की जरूरत है। अभिलाषा की तरह ही और भी कई महिलाएं हैं, जो भारत का नाम ऊंचा कर रही हैं, जैसे और आजादी के अमृत महोत्सव को चरितार्थ कर दिया है। गौतरलब है कि आईटीबीपी 2016 से सीमा चौकियों पर महिला कर्मियों को तैनात कर रहा है। बल में करीब 2,500 महिलाएं हैं। आईटीबीपी 3488 किलोमीटर भारत-चीन सीमाओं की रक्षा करता है, जो ज्यादातर ऊंचाई वाले ऊबड़-खाबड़ इलाकों और बर्फ और कठिन जलवायु परिस्थितियों में हैं। ऐसे में महिलाओं ने बिना किसी बात की परवाह की है और खुद के कदम बढ़ाये हैं।
वाकई, सही मायने में आजादी का अमृत महोत्सव यही है, जहां महिलाएं पूरी तरह से अपने कंफर्ट जोन से निकल कर, एक नया आसमान खुद के लिए तैयार कर रही हैं और अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा दे रही हैं।
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