भारतीय वैज्ञानिकों ने सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए एक ऐसा टीका विकसित किया है, जो सुलभ तरीके से उपलब्ध है और साथ ही इसकी अच्छी बात यह है कि यह टीका जो विकसित किया है, यह कम लागत वाला टीका है। खास बात यह है कि स्वास्थ्य अधिकारियों को भारत में दूसरा सबसे आम कैंसर बन चुके कैंसर को कम करने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि भारत सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि वह अप्रैल में 9 से 14 वर्ष की आयु की लड़कियों के लिए एक राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान शुरू करेंगे, जो सर्वाइकल कैंसर के मुख्य कारण और अन्य कैंसर के संभावित कारण ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) को लक्षित (टारगेट) करने वाले एक नए विकसित टीके का उपयोग करेंगे।
बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत में वर्ष 2019 से अब तक 4.1 लाख महिलाओं की इस बीमारी से ग्रसित होने के कारण मौत हो चुकी है और बिना किसी हस्तक्षेप के वर्ष 2070 तक 5.7 लाख की मृत्यु हो जाएगी।
यही वजह है कि डब्ल्यूएचओ ने कई देशों को चेताया है कि वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष प्रति 100,000 महिलाओं पर चार से कम नए मामलों की घटना दर तक पहुंचना चाहिए और इसे बनाये रखना चाहिए। इसलिए घटना दर को कम करने के लिए लड़कियों का निवारक टीकाकरण आवश्यक है।
ऐसे में यह भी जानना जरूरी है कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा विकसित क्वाड्रिवेलेंट वैक्सीन, जिसे "सर्ववैक" कहा जाता है, एचपीवी(HPV) के चार प्रकारों से सुरक्षा प्रदान करता है।
यह टीका इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वर्तमान समय में भारत, टीकों के लिए पूरी तरह से विदेशी निर्माताओं पर निर्भर है, जो काफी महंगे हैं और किसी के लिए सुलभ नहीं हैं। ऐसे में एक बड़े नैदानिक परीक्षण (क्लिनिकल ट्रायल) से सकारात्मक आंकड़े मिलने के बाद, जुलाई 2022 में ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया द्वारा विपणन प्राधिकरण( मार्केटिंग ऑथोराइजेशन) प्रदान किया गया था।
एसआईआई (SII)के सीईओ अदार पूनावाला ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा है कि पहले, इसे भारत के नागरिकों तक ज्यादा से ज्यादा पहुंचाने की कोशिश की जाएगी और बाद में इस टीका का वैश्विककरण किया जाएगा। हमने इसे दुनिया भर की सभी महिलाओं के लिए बनाया है। यह महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। दरअसल, पिछले पांच वर्षों में भारत में 10% से कम महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर की जांच की गई है, ऐसे में इस क्षेत्र पर काम किया जाना बेहद जरूरी है।
बता दें सरकार ने स्पष्ट किया है कि जो लड़कियां स्कूलों में नहीं जाती हैं, उन्हें सामुदायिक आउटरीच और मोबाइल स्वास्थ्य टीमों द्वारा टीके दिए जाएंगे, क्योंकि यह अफसोसजनक है कि हाल ही में एक राज्यव्यापी स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम से पता चला कि महाराष्ट्र में हर 100 महिलाओं की जांच की गई, जिनमें से एक का निदान नहीं किया गया और सर्वाइकल कैंसर पाया गया। वर्ष 2020 में, उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश में 10,046 मामले दर्ज किए गए, जिससे यह सर्वाइकल कैंसर की उच्चतम अनुमानित घटना वाला राज्य बन गया, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि भारतीय वैक्सीन एक गेम चेंजर साबित होगी, जिससे सर्वाइकल कैंसर के मामलों में कमी आएगी, क्योंकि इसकी कीमत काफी कम है।
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