दुर्गा पूजा की धूम पूरे भारत में है। दुर्गा पूजा से लेकर सिंदूर खेला, प्रसाद, सांस्कृतिक कार्यक्रम, मूर्ति विसर्जन जैसे हर कार्यक्रम को लेकर लोगों में उत्साह है। ऐसे में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस त्योहार को यादगार बनाते हुए, लोगों को एक अच्छा संदेश देने के बारे में भी सोच रहे हैं। कहीं कुछ स्कूल के बच्चे इस्तेमाल में ना आने वाले घरेलू सामान से पंडाल बना रहे हैं, तो कहीं महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण दिया जा रहा है, तो ऐसे में आइए जानिए देशभर में कैसा है दुर्गा पूजा का उल्लास।
रिसाइकिल होने वाले वेस्ट समानों से बनेगा देवी का पंडाल
बड़े और भव्य पंडालों की शोभा के बीच एक ऐसा पंडाल भी तैयार किया जा रहा है, जिसकी तैयारी और जिसका उद्देश्य ही आपको तालियां बजाने पर मजबूर कर देगा। देवी के पंडालों के इस समारोह में शामिल होगा, उत्तर प्रदेश के विकास नगर के स्कूल के बच्चों द्वारा तैयार किया गया खास पंडाल भी। इन बच्चों ने रिसाइकिल होने वाले वेस्ट समानों से हरे रंग के पंडाल बनाने का फैसला किया है।उन्होंने अपने पंडाल के माध्यम से दो विषयों को प्रदर्शित करने का विकल्प चुना है - "रीसाइकिल और पुन: उपयोग" और "महिला सशक्तिकरण"। पंडाल स्थापित करने वाले बच्चे बाल शाश्वत फाउंडेशन द्वारा फ्री स्कूल के स्टूडेंट्स हैं। बच्चों ने उन सामग्रियों का उपयोग करके पंडाल को सजाया, जिन्हें आसानी से चारों ओर पड़ा हुआ देखा जा सकता है, जैसे कि अखबार का कचरा, इस्तेमाल की हुई बोतलें, टिन और लोहा, पुरानी साड़ी, गेंद, कांच की बोतलें और अन्य काम न आने वाले घरेलू सामान। इसके अलावा, महिला सशक्तिकरण पर एक महत्वपूर्ण संदेश भेजने के लिए बहादुर स्वतंत्रता सेनानी रानी लक्ष्मी बाई को प्रतिबिंबित करते हुए देवी दुर्गा की छवि दिखाई जाएगी।
कोलकाता के पंडालों के जरिये उजागर होगा महिला सशक्तिकरण भी
पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करें तो पूरे पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा समारोह एक अलग ही बदलाव लेकर आया है। कोलकाता के नए शहर समुदाय की सर्बोजेनिन दुर्गा पूजा उत्सव के लिए सभी महिला पुजारियों, ड्रमर और कलाकारों की एक टीम तैयार है। इतना ही नहीं, इस अवसर पर प्रदर्शन करने वालों में सभी महिलाएं ही शामिल होंगी। दत्तात्रेय घोषाल, जो 2018 से पुजारी हैं और इस बार वो यहां भी पूजा करेंगी। उन्होंने कहा कि पूजा वैदिक रीति से होगी। इस उत्सव के दौरान महिलाओं और सेक्स वर्कर्स को सम्मानित करने से लेकर, महिलाओं द्वारा दुर्गा पूजा के उत्सव में प्रतिनिधित्व करने तक का यह प्रयास एक अच्छा बदलाव है, जो बहुत पहले हो जाना चाहिए था। समुदाय की इस पहल एक उद्देश्य महिलाओं के लिए अधिक अवसर उपलब्ध कराना और महिला सशक्तिकरण के महत्व को फैलाने में मदद करना शामिल है।
उत्तर प्रदेश में भी मिसाल बन रही हैं ‘ऑल वीमेन पुजारी’
जी हां, राष्ट्रीय राजधानी की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश के एक शहर गाजियाबाद में महिला सशक्तिकरण का एक अनूठा उदाहरण देखने को मिलेगा, जहां साहिबाबाद क्षेत्र में महिलाओं के नेतृत्व में एक दुर्गा उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। शालीमार गार्डन महिला सेवा समिति द्वारा आयोजित किया जा रहा दुर्गा पूजा-2022 उत्सव, इस वर्ष 'अनन्या नारी' के नारे से प्रेरित है। पूजा से लेकर प्रसाद वितरण, सांस्कृतिक कार्यक्रम से लेकर मूर्ति विसर्जन तक हर कार्यक्रम का संचालन समिति की महिला टीम करेगी। इतना ही नहीं, दो महिला ढोलकिया के साथ सभी पूजा अनुष्ठान करने के लिए कोलकाता से चार महिला पुजारियों की एक टीम को बुलाया गया है। पूरे उत्तर भारत में यह अपनी तरह की पहली पहल मानी जा रही है। वे कुमारी पूजा का भी आयोजन करेंगे, जिसमें एक से सोलह वर्ष की आयु की लड़कियां देवी का प्रतिनिधित्व करेंगी और मूर्ति के सामने उनकी पूजा की जाएगी।