ग्रामीण इलाकों में महिलाएं अपनी आमदनी के लिए किसी भी निर्भर नहीं होना चाहती हैं। यही वजह है महिलाएं एक समूह बनाकर खुद के लिए व्यवसाय का रास्ता बना रही हैं। जी हां, ऐसे कई शहर और ग्रामीण इलाके हैं, जहां पर महिलाओं ने साधारण से काम को अपने हुनर और मेहनत के बलबूते पर बड़ा बना दिया है। नतीजा यह हो रहा है कि महिलाएं अपने व्यवसाय से लाखों की कमाई कर रही हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
बिहार में 1000 महिलाओं ने बिजनेस से कमाये लाखों
बिहार के गया जिले के बेला गांव में खेती के जरिए एक हजार से अधिक महिलाएं साल में लाखों की कमाई कर रही हैं। इस इलाके में महिलाएं मिलकर लेमनग्रास की खेती कर रही हैं। पहले खेती के लिए जो जमीन महिलाओं को मिली थी, वो बंजर थी, लेकिन महिलाओं ने अपनी मेहनत के बलबूते इस जमीन को उपजाऊ बना लिया। इसके बाद लेमन ग्रास की खेती करने के साथ तेल निकालने की मशीन भी लगाई गई है। महिलाएं पहले लेमनग्रास की खेती करती हैं और फिर उससे 90 लीटर के करीब तेल निकाला जाता है। दिलचस्प यह है कि लेमनग्रास के तेल की मांग काफी अधिक है। इस तेल से महिलाओं की कमाई प्रति लीटर 1200 रुपए के करीब हो जाती है। लेमनग्रास की इस कंपनी से 1090 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इस कंपनी का टर्नओवर 50 लाख के करीब का बताया जा रहा है। यहां पर काम करने वाली महिलाओं की हर महीने अलग से कमाई 7 से 8 हजार के करीब की होती है। यह भी बता दें कि लेमनग्रास के साथ महिलाएं मशरूम की भी खेती यहां पर कर रही हैं। महिलाओं की सेहत को ध्यान में रखते हुए डिजिटल क्लीनिक भी मौजूद है, जहां पर महिलाओं को इलाज की बेहतरीन सुविधा भी मिल रही है।
चार साल में कंपनी का टर्नओवर 100 करोड़
बिहार के कोसी इलाके में जीविका के सहयोग से 38 करोड़ के अनुदान के साथ शुरू किया गया, इनका बिजनेस 100 करोड़ के पार जा पहुंचा है। इसके पीछे पशुपालन और दुग्ध व्यवसाय है। कोशिका महिला मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के पास फिलहाल 6 करोड़ के करीब की पूंजी है। इनके चार करोड़ के शेयर धारक मौजूद हैं। यह कंपनी गांव की महिलाओं से 44 रुपए की कीमत पर दूध के बदले रकम मिलती है। पहले ये महिलाएं केवल 27 रुपए प्रति लीटर दूध बेचती थीं, लेकिन इस व्यवसाय के जरिए उन्हें दूध की सही कीमत मिल रही है, जो कि उनकी आमदनी का एक बड़ा साधन बन चुका है। कई महिलाएं दूध से सही कीमत कमाकर अपने बच्चे की पढ़ाई के साथ परिवार का भी पालन-पोषण कर रही हैं। ज्ञात हो कि साल 2018 अक्टूबर से इस कंपनी सहरसा, सुपौल, मधेपुरा और खगड़िया के 800 गांवों से दूध खरीदने की पहल शुरू की, जिसमें अब बड़ा विस्तार हो गया है। जीविका कार्यकर्ताओं को कंपनी द्वारा 161 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। इस कंपनी के जरिए 64 लीटर के करीब दूध संग्रह करके भिन्न केंद्रों तक पहुंचाया जाता है। बकाया दूध से दही बनाकर भी बाजार में बेचा जा रहा है। वाकई, दुग्ध व्यवसाय के जरिए ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के आर्थिक हालात को बल मिला है।
घरेलू सामानों ने बदली महिलाओं की तकदीर
बिहार में ही नहीं, बल्कि नोएडा में भी घरेलू व्यवसाय ने महिलाओं की तकदीर बदली है। ग्रेटर नोएडा में 11 महिलाओं ने साथ मिलकर घरेलू सामानों का कारोबार शुरू किया। तीन साल के भीतर उनके इस व्यवसाय से 41 हजार महिला सदस्य जुड़ गई हैं। इस कंपनी ने बीते साल 230 करोड़ रुपए का कारोबार किया और इस कंपनी को पूरी तरह से महिलाएं संचालित कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि इन महिलाओं ने अपना काम दूसरे शहरों तक भी बढ़ाया है। ग्रेटर नोएडा के अलावा पंजाब, मध्यन प्रदेश और राजस्थान के साथ अन्य राज्यों तक वे अपने इस बिजनसे का प्रचार कर चुकी है। इन महिलाओं को अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए ग्रामीण आजीविका मिशन से भी भरपूर सहायता मिली है। देखा जाए, तो महिलाओं ने एकजुट होकर जिस तरह से घरेलू बिजनेस को व्यापक बनाया है, वह वाकई काबिल ए तारीफ है।
तेलंगाना की महिलाओं की लाखों की कमाई
तेलंगाना की महिलाओं की लाखों की कमाई, जापान तक पहुंचा काम । जी हां, तेलंगाना के संगारेड्डी जिले के गोंगुलर की महिलाएं मिलकर सर्वोदय मंजीरा एंटरप्रेन्योर कॉटेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चला रही हैं। इस कंपनी के जरिए महिलाएं तेल, दाल और साबुन के साथ घरेलू जरूरतों के कई सामान एक्सपोर्ट भी कर रही हैं और सुपरमार्केट के साथ कई कंपनी को बेच रही हैं। इस कंपनी के पहले साल की कमाई 50 लाख के करीब की बताई जा रही है। इस बिजनेस को शुरू करने के लिए महिलाओं ने 4 करोड़ रुपए का निवेश किया था। इस कंपनी में काम करने वाली महिलाओं के हर महीने 8 हजार के करीब का प्रतिमाह वेतन भी मिलता है। जाहिर सी बात है कि महिलाएं अपने हुनर और मेहनत के आधार पर अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं।