देश के ग्रामीण इलाकों में सरकार द्वारा महिलाओं के लिए कई सारी सेहत से जुड़ी योजनाएं कई सालों से शुरू की गई हैं, हालांकि बीते कुछ सालों से महिलाओं की सुरक्षा और सेहत के लिए कुछ जरूरी योजनाओं पर सबसे अधिक ध्यान दिया जा रहा है। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में आर्थिक तौर पर सक्षम नहीं होने वालीं गर्भवती महिलाओं के लिए कई जरूरी स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
जननी सुरक्षा योजना
ग्रामीण महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण मिशन के तहत जननी सुरक्षा योजना शुरू की गई है। आंगनबाड़ी के जरिए महिलाएं इस सुविधा का लाभ ले सकती हैं। सरकार ने इस सुविधा को आर्थिक तौर पर कमजोर महिलाओं के लिए शुरू किया है, जो कि घर पर ही बच्चे को जन्म देती हैं। इस योजना के जरिए सरकार का लक्ष्य नवजात शिशुओं में मृत्यु दर को कम करना है। इस स्कीम के जरिए महिला और नवजात शिशु को सही पोषण के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को यह योजना घर-घर पहुंचाने की जिम्मेदारी दी है। सरकार की तरफ से महिला को बच्चे के जन्म पर तकरीबन 1400 रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
आशा कार्यकर्ताओं से मिलगी सुविधा
उत्तर प्रदेश में गर्भवती महिलाओं को एक और बड़ी सुविधा मिली है। गर्भवती महिलाएं निजी जांच केंद्रों पर मुफ्त में अल्ट्रासाउंड के साथ गर्भधारण से जुड़ी अन्य सुविधाओं की जांच मुफ्त में करा सकती हैं। देखा गया है कि कई बार सुविधा कम होने से और मशीनें खराब होने से गर्भवती महिलाएं जांच नहीं करा पाती हैं, ऐसे में सरकार ने फैसला लिया है कि वह गर्भवती महिलाओं के जांच संबंधी सारी सुविधाओं के खर्च का वहन करेगी। इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं को भी जोड़ा जाएगा। ये सभी कार्यकर्ता गांव की महिलाओं के संपर्क में बनी रहेंगी। इससे गर्भवती महिलाओं को किसी प्रकार की दुविधा होने पर आशा कार्यकर्ता उनकी मदद करेंगी।
राजस्थान का पोषण चैंपियन
राजस्थान में गैर-लाभकारी संस्था ने पोषण चैंपियन का गठन किया है। गौरतलब है कि पोषण चैंपियन से कई सारे वॉलेंटियर जुड़े होते हैं, जो ग्रामीण इलाकों में जाकर गर्भवती महिलाओं की काउंसलिंग करते हैं। इस दौरान वह गर्भवती महिलाओं को पोषण और अन्य जरूरी जानकारी से जागरूक कराते हैं। राजस्थान के बारां जिले में 38 पोषण चैंपियन का चुनाव किया गया है, जिसमें 11 महिलाएं हैं। इनका काम गर्भवती महिलाओं से नियमित मिलना या फिर मोबाइल पर उन्हें स्वास्थ्य संबंधित सलाह देने का काम किया जाता है। यह चिंताजनक है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में शिशु मृत्यु दर एक हजार जीवित बच्चों में 32.2 प्रतिशत है, वहीं कई सारी गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित है, जो कि चिंताजनक है।
मोबाइल दाई-दीदी क्लीनिक
छत्तीसगढ़ में महिलाओं के सेहत को सर्वोपरि रखते हुए 2 साल पहले दाई-दीदी क्लीनिक की शुरुआत की गई। उल्लेखनीय है कि फिलहाल 2 लाख के करीब महिलाओं को इसका लाभ मिला है। यह दिलचस्प है कि देश में यह पहली अकेली ऐसी योजना है, जहां पर महिला डॉक्टरों की टीम महिलाओं का उपचार करती है। इस योजना के तहत दाई-दीदी क्लीनिक मोबाइल मेडिकल यूनिट के वाहन में महिला चिकित्सकों और महिला स्टाफ की टीम को पहुंचाती हैं। इससे महिलाओं और बच्चों का मुफ्त में इलाज किया जाता है। इसमें खासतौर पर स्लम क्षेत्र और मजदूरी करने वाली महिलाएं भी शामिल हैं।
राजस्थान में आशा सहयोगिनी ऐप से इलाज
राजस्थान के बहरोड़ में आशा सहयोगिनी ऐप तैयार किया गया है। राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने इस ऐप को तैयार किया है। इस एप के जरिए गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाओं की सारी जानकारी इस ऐप के द्वारा मिलेगी। ग्रामीण इलाकों तक इस ऐप की सुविधा पहुंचाने के लिए 200 आशाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। आशा सहयोगिनी हर दिन मोबाइल ऐप पर महिलाओं और बच्चों से संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं की सूचना को अपडेट कर सकेंगी। इस ऐप पर मासिक कार्य योजना, टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच, प्रसव के बाद देखभाल, शिशु टीकाकरण और बच्चों के विकास के साथ अन्य जरूरी जानकारियों को शामिल किया गया।