होली के हुड़दंग के बीच महिला सशक्तिकरण के अनगिनत रंग देखने को मिले हैं। इस साल भी देश के भिन्न शहरों में होली के रंग को खेलने का अपना अंदाज महिलाओं के बीच दिखाई दिया। किसी ने अपनी कला का उत्तम परिचय दिया, तो कहीं अपने जीवन के कोरे कागज पर विधवाओं ने होली पर उम्मीद और खुशियों का रंग भर दिया। उल्लेखनीय है कि होली केवल रंगों का त्यौहार नहीं है। होली के सही मायने क्या हैं, इसका अर्थ तब अधिक समझ आता है, जब किसी के जीवन में उम्मीद, हिम्मत और आत्मविश्वास का रंग उजागर होता है। आइए जानते हैं विस्तार से कि कैसे महिलाओं ने इस बार होली के जश्न में खुद के लिए खुशियों और विश्वास का रंग भरा है।
पुणे में महिलाओं के लिए होली पर बाउंसर हेल्पलाइन
होली के मौके पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुणे पुलिस ने बाउंसर हेल्प लाइन नंबर जारी किया है। जी हां, पुलिस विभाग ने होली पार्टियों के आयोजन के दौरान महिलाओं से जुड़े अपराधों को देखते हुए यह पहल की है। इसके साथ ही पुणे में होली के भव्य आयोजन समारोह के लिए आयोजकों ने उत्सव स्थल पर 50 से 60 महिला बाउंसरों को नियुक्त किया गया है। महिलाओं के साथ होली के दौरान होने वाली छेड़खानी और अन्य असुरक्षित घटनाओं को देखते हुए महिला सुरक्षाकर्मियों को भी नियुक्त किया गया है।
तनाव को दूर करने के लिए डॉक्टरों ने खेली होली
बिहार के दरभंगा के एक अस्पताल में महिला डॉक्टरों ने खुद को तनाव और मानसिक परेशानी से मुक्त करने के लिए खुशियों की होली खेली। लगातार मरीजों की सेवा करने और उनके इलाज के बाद डॉक्टर मानसिक तौर पर थकान महसूस करते हैं। ऐसे में होली के मौके पर खुद को मानसिक आराम देने के लिए डॉक्टरों ने होली का आयोजन किया। अस्पताल की महिला डॉक्टरों ने नाच-गाने और अबीर गुलाल के साथ जमकर होली खेली।
होली पर वरिष्ठ महिलाओं का सम्मान
राजस्थान के गंगापुर शहर में एक समिति ने होली मिलन समारोह का आयोजन किया, जहां पर महिलाओं ने फाग गीतों पर अपनी रंगारंग प्रस्तुति दी। इस मौके पर गंगापुर की वरिष्ठ महिलाओं का भी सम्मान किया गया। गंगापुर की इस महिला समिति का मानना है कि बिखरते हुए परिवार को जोड़ने का जिम्मा महिलाओं पर ही है। होली का अवसर यह दिखाता है कि कैसे एक महिला अपने परिवार और समाज में खुशी का रंग भरती हैं।
पिंक मैराथन में दिखा होली का रंग
छत्तीसगढ़ के भिलाई टाउनशिप शहर में पिंक मैराथन के साथ पुष्प होली का आयोजन किया गया। इस मैराथन में सैकड़ों संख्या में महिलाओं ने भाग लिया। पिंक मैराथन में दौड़ लगाने के साथ इन सभी महिलाओं ने फूल और हर्बल रंगों से होली खेली। पिंक मैराथन का उद्देश्य था कि वह होली और महिला दिवस का स्वागत एक साथ करें। इस मैराथन का हिस्सा बनने के लिए महिलाओं ने गुलाबी पिंक रंग की टी-शर्ट दी गयी। बता दें कि इस दौड़ में 10 साल की बच्ची से लेकर 60 साल की बुजुर्ग महिलाओं ने भी भाग लिया। कई महिलाओं ने अपनी कला का परिचय दिया। मैराथन में महिलाओं ने बच्चों के स्केंटिग पहनकर सड़क पर करतब दिखाया।
यूपी नंदगांव में लट्ठमार होली
मथुरा में हर साल की तरह इस बार भी महिलाओं की होली आकर्षण का केंद्र बन गयी। बरसाना और नंदगांव में लट्ठमार, लड्डू मारो और रंग गुलाल होली का मस्ती भरा रंग दिखाई दिया। नंदगांव में पारंपरिक मान्यताओं के आधार पर पुरिषों पर महिलाएं लट्ठ बरसाकर होली के रंग को उल्लास और मौज से भर देती हैं। खुद को महिलाओं की टोली से बचाने के लिए पुरुष पगड़ी पहन कर अपने सिर पर ढाल रखते हैं। दिलचस्प है कि महिलाएं पारंपरिक परिधान में गीत गाकर लट्ठमार होली में चार चांद लगा देती हैं।
सूखे हुए फूलों से बनाया होली का रंग
छत्तीसगढ़ रायपुर में महिलाओं ने इस साल होली के रंगों के साथ नया प्रयोग किया। रायपुर की महिलाओं ने मंदिरों और शादी के हॉल में से सूखे हुए फूलों को एकत्रित किया। 10 महिलाओं के समूहों ने इन फूलों से हर्बल रंग बनाएं। सूखे हुए फूलों को पीसकर रंग का निर्माण किया। वहीं 21 महिलाओं के समूहों ने पालक, बीट और हल्की का उपयोग करते 105 किलो गुलाल बनाएं। बता दें कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहार के तहत इन महिलाओं को गुलाल बनाने की ट्रेनिंग दी गयी। ज्ञात हो कि होली इसकी गवाही देता है कि कैसे महिलाएं अपने जीवन की निराशा को आशा के गुलाल से रंगीन कर हर्षोल्लास में सराबोर कर लेती है। वह जहां अपनी कला दिखा कर आर्थिक तौर पर खुद को बल देने के साथ अपने जीवन के रास्ते में विकास, विश्वास और व्यवसाय के दरवाजे भी खोल रही हैं।
वृंदावन की विधवाओं ने खेली आजादी की होली
मथुरा की होली देश की सबसे चर्चित होली होती है। खासतौर पर वृंदावन की महिलाएं अपने नए रंग में नजर आती हैं। ऐसे में होली की परंपरा को निभाते हुए मथुरा के वृंदावन की विधवाओं ने गोपीनाथ मंदिर में होली मनाई। पूरे देश में वृंदावन की यह होली खास मानी जाती है। केवल वृंदावन में ही सैकड़ों निराश्रित,विधवा माताएं इस होली का हिस्सा बनती हैं। वृंदावन की विधवा महिलाओं की यह होली इस बात का प्रतीक है कि कैसे खोखले रीति रिवाजों को तोड़कर होली आजादी का रंग देती है। वृंदावन की विधवा महिलाएं फूल और गुलाल के साथ रंग खेलकर अपने बेरंग दुनिया में रंग भरती हैं।