भारत के ग्रामीण इलाकों में लगातार लड़कियां स्कूल जाना कम कर रही हैं। ऐसे में कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आये हैं। जी हां, एजुकेट गर्ल्स ने भारत में राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के गांवों में 900 से अधिक घरों में रहने वाली महिलाओं, लड़कियों और लड़कों के साथ एक व्यापक अध्ययन किया, यह समझने के लिए कि महामारी ने 5-18 आयु वर्ग की लड़कियों की शिक्षा को कैसे प्रभावित किया है।
वर्ष 2021 में नवंबर और दिसंबर में ग्रामीण भारत में लड़कियों की शिक्षा की दिशा में काम करने वाली एक भारतीय गैर-लाभकारी संस्था एजुकेट गर्ल्स ने राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 5-18 वर्ष की आयु की लड़कियों पर महामारी के प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए एक व्यापक अध्ययन किया। यह अध्ययन डालबर्ग इंटरनेशनल एडवाइजर्स के सहयोग से माताओं और 900+ घरों की 3,200 से अधिक लड़कियों और लड़कों का सर्वेक्षण करके किया गया था। ऐसे में यह समझने की कोशिश है कि कमजोर लड़कियों के जीवन में महामारी द्वारा किस तरह के परिवर्तन आये हैं और इससे उनके स्कूल लौटने की संभावना कैसे प्रभावित हुई होगी। तो, ऐसे में जो महत्वपूर्ण बातें सामने आई हैं, उसके बारे में विस्तार से जानिए।
आर्थिक तंगी और स्कूल में उपस्थिति
जिन गांवों में स्कूल खुल चुके हैं, वहां करीब 94 फीसदी लड़कियों और 96 फीसदी लड़कों ने कहा कि वे स्कूल जा रहे हैं। हालांकि, स्कूल नहीं जाने वाली लड़कियों (23%) का अनुपात, स्कूल नहीं जाने वाले किशोर लड़कों की तुलना में लगभग दोगुना था।
घर के कामों का बढ़ा बोझ
यह भी एक ध्यान देने वाली बात सामने आई है कि सभी लड़कियों के लिए, घर के कामों में बिताए घंटों की संख्या प्रतिदिन 1 घंटे से अधिक बढ़कर औसतन 3.5 घंटे प्रतिदिन हो गई है। इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा ऐसे कामों में है, जो सुबह स्कूल जाने से पहले करने की आवश्यकता होती है।
जल्दी शादी का बोझ
उत्तर प्रदेश में, जिन लड़कियों ने इस सर्वेक्षण में भाग लिया है, उनमें से लगभग 30% लड़कियों की या तो शादी हो गई या सगाई हो गयी थी। कई लड़कियों ने लॉकडाउन के दौरान बढ़ती गरीबी का उल्लेख किया तो अन्य परिस्थितियों के साथ, उन्हें जल्दी शादी के कारण छोड़ दिया।
इस अध्ययन से सामने आये निष्कर्ष पर अपनी बात रखते हुए एजुकेट गर्ल्स की संस्थापक और बोर्ड निदेशक सफीना हुसैन ने कहा कि इस अध्ययन के निष्कर्ष से यह स्पष्ट है कि लड़कियों की शिक्षा में बाधाएं पहले से कहीं अधिक हैं और हमें यह सुनिश्चित करने के लिए अधिक बाधाओं से लड़ने की जरूरत है कि ये लड़कियां स्कूल जाएं, पढ़ाई बीच में न छोड़ें और सीखना जारी रखें। यह अफसोसजनक बात है कि किशोर लड़कियों में यह अधिक देखा जा रहा है। अध्ययन लड़कियों की संघर्ष की कहानियों और उनके जीवन पर महामारी के बाद पड़ने वाले प्रभाव पर भी प्रकाश डालता है।
बता दें इस अध्ययन के निष्कर्षों को 'ग्रामीण भारत में कोविड -19 का प्रभाव और लड़कियों पर इसका प्रभाव' शीर्षक से एक रिपोर्ट में संकलित किया गया है। यह आगे आने वाले अवसरों की रूपरेखा तैयार करता है, जिसमें शिक्षक किशोर लड़कियों को सीखाते रहने की कोशिश करते हैं और उन्हें वापस स्कूल जाने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं।