हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के हरिपुरधार इलाके में महिलाएं खुद को और अपने जैसी और भी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रही हैं। जी हां, बुरांश के फूलों के रस से कमाल कर रही हैं, वे इसका जूस निकाल कर काफी सैलानियों को पिलाती हैं और खासतौर से उत्तर भारत से आये सैलानियों को इसका स्वाद बेहद पसंद आ रहा है। खास बात यह भी है कि बुरांश के फूलों से जैम बनाने का काम भी यहां की महिलाएं करती हैं। जूस का सीजन शुरू होते ही कई जगहों से इन्हें जूस के ऑर्डर आने शुरू हो जाते हैं। खास बात यह है कि इस जूस के ऑर्डर भी बाहर भेजे जा रहे हैं। शिमला, सोलन और चौपाल ऐसी जगहें हैं, जहां बसों में और बसों द्वारा इसकी सप्लाई की जा रही है। शुरुआत में इस जूस के कारोबार से 300 महिलाएं ही जुड़ी थीं। लेकिन अब यह आंकड़ा काफी बढ़ गया है। अब कई महिलाएं इससे जुड़ चुकी हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि धौलाकुंआ से वैज्ञानिकों की एक टीम ने आकर इन महिलाओं को इस काम के लिए प्रशिक्षित किया। इसके बाद इससे 1000 से भी अधिक महिलाएं जुड़ गई हैं। हैरानी की बात यह है कि यह आंकड़ा 6 करोड़ पहुंच चुका है। यह शुरुआत छोटी हुई थी, फिर धीरे-धीरे वहां की कई महिलाएं इससे जुड़ती चली गयीं।
वाकई, मानना होगा एक छोटी सी शुरुआत से बड़ी उपलब्धि महिलाओं ने हासिल की है।