भारतीय सेना की महिलाओं को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। पहली बार महिला अधिकारियों को कमांड की भूमिकाओं में नियुक्त करने का फैसला किया गया है। जी हां, भारतीय सेना चयन बोर्ड ने महिलाओं को बराबरी का अधिकार देते हुए कमान की भूमिका सौंपी है। इसके तहत 50 प्रतिशत महिला अधिकारियों को उत्तरी और पूर्वी कमानों के आगे के स्थानों पर परिचालन क्षेत्रों में तैनात इकाइयों की कमान संभालनी होगी। ज्ञात हो कि साल 2020 में स्थायी कमीशन देने के बाद ही भारतीय सेना में महिलाओं को लेकर कई सारे अवसर खोले हैं। इस तरह से कमान की की भूमिका मिलने पर भविष्य में उनके करियर के लिए भी राह आगे बढ़ेगी।
दरअसल, भारतीय सेना में महिलाओं को लेकर हुए इस निर्णय ने महिलाओं के कद को व्यापक जगह दी है। हालांकि शाखाओं में कमान की जिम्मेदारी देने का काम हाल ही में शुरू किया गया है और ऐसे में प्रणाली में हुआ यह बदलाव सेना में महिलाओं को लेकर बदलती हुई मानसिकता को दिखाता है। सेना में पुरुषों की बराबरी करने का अवसर भारतीय सेना की महिलाओं को भविष्य में भी कई बड़ी जिम्मदारी लेने के लिए प्रबल बनाएगी। सेना चिकित्सा कोर की महिला अधिकारी कई दशकों से मैदान पर सैन्य अस्पतालों और कई चिकित्सा प्रतिष्ठानों की कमान को संभाल रही हैं। और अभी हाल ही में यानी साल 2023 जनवरी से सेना में महिलाओं की भूमिका पर रोशनी डाली गई है। यह उल्लेखनीय है कि सबसे पहले जनवरी में दक्षिण सूडान में ( यूएनएमआईएसएसय) में संयुक्त राष्ट्र मिशन में 1,000 से अधिक शांति भारतीय सैनियों के साथ पांच महिला सेन कर्मियों को उनके प्रमुख कामों के लिए संयुक्त राष्ट्र पदक से सम्मानित किया गया।
इसी के साथ विश्व के सबसे ऊंचे और ठंडे युद्ध मैदान सियाचिन में महिला अधिकारी शिवा चौहान को तैनात किया गया, साथ ही साथ 27 महिला शांति सैनिकों के बड़े दल को सूडान के अबेई ऐसे विवादित क्षेत्र में तैनात किया, जहां पर वहां की स्थानिय महिलाओं और बच्चों को राहत और सहायता दी जाएगी। महिलाओं का यह पूरा दल संयुक्त राष्ट्र अंतरिम सुरक्षा बल के हिस्से के रूप में चुनौतिपूर्ण मिशन में सुरक्षा से जुड़ा काम करेगी। भारतीय सेना ने अपनी तीनों सेवाओं में महिलाओं की भूमिका को व्पापक किया है, जहां पर वायु सेना और नौसेना ने महिला अधिकारियों को अपनी खास बल इकाइयों में शामिल होने की अनुमति दी है, जो कि गरुड़ कमांडो बल है। समुद्री कंमाडो के तौर पर भी महिलाओं को पुरुषों के बराबर की केंद्रीय भूमिका सौंपी जा रही है। इसका साफ उदाहरण यह है कि कंमाडर महिलाएं विमान उड़ा रही हैं। साथ ही बड़ी संख्या में महिलाओं को सेना में भर्ती के लिए राष्ट्रीय रक्षा प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। गौरतलब है कि सेना ने 1990 दशक की शुरुआत से ही शॅार्ट- सर्विस कमीशन अधिकारियों के तौर पर महिलाओं को शामिल करने की शुरुआत की थी। तभी से महिलाओं ने भारतीय सेना में खुद की मौजूदगी को बढ़ाने में एक लंबा सफर तय किया है। ऐसे में जो यह नयी शुरुआत हुई है, वह वाकई में महिलाओं को इस क्षेत्र में आने के लिए और अधिक प्रेरित करेगी।