पंजाब सरकार के एक पैनल ने भारत-पाकिस्तान सीमा के पास फिरोजपुर के एक गांव की दो लड़कियों की सुविधा के लिए एक पंटून पुल स्थापित करने की सिफारिश की है, जिन्हें नाव की सवारी करनी होती है और फिर चार किलोमीटर दूर चलकर सीनियर सेकेंडरी स्कूल तक पहुंचना पड़ता है। पैनल ने यह भी सुझाव दिया कि सतलज नदी के पानी से तीन तरफ से घिरे कलुवारा गांव, जिसके चौथे तरफ इंटेशनल बॉर्डर है, यहां की लड़कियों को उनके परिवार वालों की सहमति के बाद हॉस्टल में शिफ्ट किया जाए।
लड़कियों की इस स्थिति के सामने आने के बाद चार सदस्यीय समिति का गठन किया गया था, जिसने सतलज नदी से घिरे इस गांव के बच्चों के लिए उचित शिक्षा सुविधाओं की कमी पर पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया।
कलुवारा की करीना कौर (12) और किरण रानी बेदी (13), नदी कैसे पार करती हैं, यह भी काफी आश्चर्यजनक वाली बात है। बता दें कि एक नाव जिसे ओवरहेड केबल या रस्सी का उपयोग करके नदी के दोनों सिरों पर खंभे से बांध दिया गया है और फिर रस्सी के सहारे से वो नाव चलाकर गत्ती रजोके गांव पहुंचती है। जबकि कलुवारा गांव में एक प्राथमिक विद्यालय है, लेकिन आगे की पढ़ाई यानी सीनियर सेकेंडरी की पढ़ाई के लिए बच्चों को दूसरे गांव जाना पड़ता है और नदी पार करने के लिए नाव ही एकमात्र माध्यम है।
समिति को लगता है कि पंटून पुल की स्थापना से उन छात्रों को सुविधा मिल सकती है, जो नाव के माध्यम से दूसरे गांव में जाते हैं। सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, गत्ती रजोके के प्रिंसिपल सतिंदर सिंह का भी यही बयान है कि वर्तमान में कलुवारा की दो लड़कियां और आठ लड़के उनके स्कूल में नामांकित हैं और उन्हें स्कूल जाने के लिए नाव पर एक नदी पार करनी पड़ती है और इसके बाद भी लगभग 4 किमी दूर चलना पड़ता है। सरकार को इनकी सहायता जरूर करनी चाहिए।
पैनल ने यह भी पाया है कि गांव में 2020-21 में सरकारी प्राथमिक स्कूल स्थापित किया गया था जिसमें वर्तमान में 25 छात्र नामांकित हैं लेकिन इसमें एक स्थायी शिक्षक नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गांव के निवासियों ने मांग की है कि स्कूल में एक स्थायी शिक्षक तैनात किया जाए।