वीमेन एन्थेप्रेनर्स को लेकर अक्सर चर्चाएं होती रहती हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि पिछले कुछ सालों में वीमेन एन्थेप्रेनर्स ने इंडस्ट्री में अपनी एक खास जगह बनाई है। लेकिन आज भी कुछ महिलाएं हैं जो अपने बिजनेस को बस इसलिए आगे नहीं बढ़ा पा रही हैं, क्योंकि उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं है और बैंक और सरकार की तरफ से भी उन्हें कुछ खासा सपोर्ट नहीं मिल रहा। ऐसे में कंसोर्टियम ऑफ वीमेन एन्थेप्रेनर्स ऑफ इंडिया के चेयरपर्सन, शशि सिंह ने एक बड़ा सवाल उठाया है और बताया है कि सरकार के सरकार के एमएसएमइ योजना में लैंगिक असमानता है और यही कारण है कि बहुत सी महिलाएं बिजनेस क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। हालांकि, बिजनेस के लिए कई तरह की स्कीम मार्केट में उपलब्ध हैं, मगर इनमें महिलाओं का शेयर बहुत ही कम है, बल्कि ना के बराबर है।
कंसोर्टियम ऑफ वीमेन एन्थेप्रेनर्स ऑफ इंडिया के चेयरपर्सन, शशि सिंह ने कहा है, “कम से कम कोविड के बाद बैंकों को अपनी ब्याज दरों को कम करना चाहिए ताकि अधिक महिलाएं बिजनेस क्षेत्र में आगे आ सकें और बैंकों को की सहायता से व्यापार में महत्वपूर्ण लाभ कमा सकें। यदि पर्याप्त लाभ नहीं होगा, तो वे बैंकों का कर कैसे चुकाएंगी? यही कारण है कि छोटे बिजनेस में महिलाओं का विकास उस स्तर पर नहीं हो रहा है जिस स्तर पर हम चाहते हैं।”
जबकि अप्रैल 2016 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई केंद्र सरकार द्वारा स्टैंड-अप इंडिया योजना वीमेन एन्थेप्रेनर्स पर केंद्रित है, यह स्केड्यूल कास्ट और स्केड्यूल ट्राइब के एन्थेप्रेनर्स के लिए भी है।
शशि सिंह ने आगे कहा, “भारत में वीमेन एन्थेप्रेनर्स सरकारी सहायता के बिना ही अपने बिजनेस को आगे बढ़ा रही हैं। महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने में मदद करने के लिए कोई विशेष योजना नहीं है, खासकर कोविड के बाद”
वैसे, वीमेन एन्थेप्रेनर्स को इन दिनों सोशल मीडिया के जरिये वर्ड ऑफ माउथ का फायदा जरूर मिल रहा है, लेकिन इस क्षेत्र में सिर्फ शहरों की महिलाएं ही हैं।
वीमेन एन्थेप्रेनर्स को सक्षम बनाने के लिए शशि सिंह ने सरकार से दो प्रमुख मांगों का उल्लेख किया; पहला, माइक्रो यूनिट्स के लिए एक अलग विभाग होना चाहिए, जिसमें 90 प्रतिशत वीमेन एन्थेप्रेनर्स होनी चाहिए। दूसरा सुझाव, वीमेन एन्थेप्रेनर्स के स्वामित्व वाले व्यवसायों को क्लस्टर फार्मेशन का सपोर्ट होना चाहिए।
शशि सिंह ने कहा है, “दिल्ली में ही, कई इंडस्ट्रियल क्षेत्र मुख्य शहर में नहीं हैं। वीमेन एन्थेप्रेनर्स के लिए इसमें कोई जगह नहीं दी गई है। हम दिल्ली सरकार से ये मांग इसलिए कर रहे हैं, ताकि महिलाएं अपने समूह में मिलकर काम कर सकें और पर्यावरण के अनुकूल प्रोडक्ट्स बना सकें जिन्हें सरकार भी खरीद सके।”
अब देखना यह है कि इस बारे में क्या ठोस कदम उठाये जाते हैं।