महिलाओं की बेहतरी के लिए लगातार सरकार द्वारा काम किये जा रहे हैं और ठोस कदम उठाये जा रहे हैं। ऐसे में अधिकारियों के अनुसार, नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ग्रामीण महिलाओं के लिए गांवों में अधिक उद्यम और रोजगार पैदा करने के लिए एक नई ऋण योजना लेकर आई है।
जी हां, यह पहली बार होगा, जब उद्यम वित्तपोषण ( एंटरप्राइज फाइनेंसिंग) की योजना का लाभ स्वयं सहायता समूह की महिलाएं ले पाएंगी। पहली बार, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के व्यक्तिगत सदस्यों को बैंक ऋण तक पहुंच प्रदान करेगी। वर्तमान में, एसएचजी सदस्य केवल समूह के रूप में बैंक ऋण प्राप्त कर सकती थीं। लेकिन अब एक रिपोर्ट के अनुसार, बिना किसी संपार्श्विक के और उद्यमिता के किसी भी पिछले अनुभव के बिना क्रेडिट के लाभ उठाया जा सकता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को तत्काल पुनर्भुगतान पर तीन साल के लिए 1.5 लाख रुपये तक के ऋण पर ब्याज सबवेंशन देगी। गौरतलब है कि इस योजना का सॉफ्ट-लॉन्च पिछले सप्ताह ही हुआ है।
इस बारे में और अधिक जानकारी देते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने अपनी बात रखी है और कहा है कि उद्यम वित्तपोषण योजना( एंटरप्राइज फाइनेंसिंग स्कीम) महिलाओं के लिए अधिक व्यावसायिक अवसर उतपन्न करेगी। यह बदले में, ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक रोजगार पैदा करेगा, क्योंकि उद्यमियों को अपना व्यवसाय चलाने के लिए कार्यबल की आवश्यकता होगी। उन्होंने इस बारे में आगे कहा कि यह महिलाओं के लिए आय के अतिरिक्त स्रोत बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए आय में विविधता लाने में भी मदद करता है।
रिपोर्ट के अनुसार इस योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, कोई भी एसएचजी सदस्य जिसने "दो चक्र ऋण या 24 महीने के पुराने" की सेवा की है, योजना के तहत ऋण प्राप्त करने के लिए पात्र हो सकता/सकती है। यदि महिला उद्यमी के पास कोई पूर्व अनुभव नहीं है, तो वह 50,000 रुपये तक का ऋण प्राप्त कर सकती हैं। लेकिन 2 लाख तक के लोन के लिए, एक ही व्यवसाय में दो साल के अनुभव की आवश्यकता होगी। जबकि एक एसएचजी के व्यक्तिगत सदस्य इस योजना से लाभान्वित हो सकती/सकते हैं, साथ ही प्रोपराइटरशिप फर्म भी क्रेडिट का उपयोग कर सकते हैं। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि 21 से 60 साल की उम्र की महिलाएं इस नई क्रेडिट योजना के लिए पात्र हैं।
एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी का इस बारे में मानना है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कोविड के बाद की वित्तीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए क्रेडिट योजना तैयार की गई है। मनरेगा और केंद्र सरकार की गरीब कल्याण योजना, जो मुफ्त अनाज प्रदान करती है, मुश्किल समय में लाखों ग्रामीण गरीबों के लिए बेहद मददगार रही है। लेकिन अब समय आ गया है कि ग्रामीण परिवार अपनी आय में विविधता ला सकें।
गौरतलब है कि आजीविका राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत विभिन्न योजनाओं के लिए धन का उपयोग किया जा सकता है। प्रमुख योजना का उद्देश्य ग्रामीण गरीबों के लिए कुशल और प्रभावी संस्थागत मंच बनाना, उन्हें स्थायी आजीविका संवर्द्धन और वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुंच के माध्यम से घरेलू आय बढ़ाने में सक्षम बनाना है। बता दें कि अब तक के आंकड़ों के हिसाब से एनआरएलएम के माध्यम से 86.1 मिलियन से अधिक परिवारों को संगठित किया गया है।
*Image used is only for representation of the story