महिलाएं लगातार विभिन्न क्षेत्र में ऊंचे पद पर कार्यरत होकर उपलब्धि हासिल कर रही हैं। इसी फेहरिस्त नया नाम जुड़ा है, जया वर्मा का। जया वर्मा सिन्हा को भारतीय रेलवे की अध्यक्ष और सीईओ बनाया गया है। इससे पहले जया, रेलवे बोर्ड में संचालन और व्यवसाय विकास के तौर पर तैनात हैं। उल्लेखनीय है कि जया वर्मा सिन्हा बीते 35 सालों से भारतीय रेलवे में कार्य कर रही हैं। जया वर्मा सिन्हा का इस पद पर पहुंचना हर महिला के लिए गौरवपूर्ण है। जया सिन्हा के प्रोफेशनल और निजी सफर पर गौर किया जाए, तो रेलवे की अध्यक्ष बनने के साथ वह अपने जीवन में कई सारे कामों के जरिए मिसाल कायम कर चुकी हैं। आइए जानते हैं इस संबंध में विस्तार से।
साल 1988 बैच से जुड़ी हैं जया वर्मा सिन्हा
जया वर्मा सिन्हा, साल 1988 बैच से जुड़ी हुई हैं। वह भारतीय रेलवे यातायात सेवा की अधिकारी हैं। उन्होंने 1 सितंबर 2023 से बतौर रेलवे अध्यक्ष अपना पदभार ग्रहण कर लिया है। उन्होंने रेलवे बोर्ड के प्रमुख अनिल कुमार लाहोटी का स्थान लिया है। इससे पहले भी वह कई बड़े पदों पर रह चुकी हैं। अपने कौशल के जरिए वह कई तरह की सेवाएं भी प्रदान कर चुकी हैं। बीते 35 सालों से रेलवे में कार्यरत दक्षिण पूर्व रेलवे और उत्तर रेलवे के साथ पूर्व रेलवे में वह कई सारे प्रमुख पदों को संभाल चुकी हैं। रेलवे अध्यक्ष के तौर पर उनका कार्यकाल 31 अगस्त 2024 तक रहेगा। यह 105 सालों में पहला मौका है, जब रेलवे बोर्ड की पहली चेयरपर्सन महिला होंगी।
भारतीय दूतावास में रेलवे सलाहकार
इसके साथ, वह रेलवे से जुड़ी कई महत्वपूर्ण घटनाओं के दौरान अपना योगदान भी दे चुकी हैं, जो कि उनके काम के स्तर को और भी बढ़ाता है। जिस वक्त वह ढाका में स्थित भारतीय दूतावास में रेलवे सलाहकार पद पर थीं, उस दौरान कोलकाता से ढाका के बीच चलने वाली मैत्री एक्सप्रेस का उद्घाटन उन्हीं के कार्यकाल के दौरान किया गया था, जो कि उनके करियर के लिए बड़ा अवसर साबित हुआ। इसके साथ कोरमंडल एक्सप्रेस हादसे के दौरान भी उन्होंने प्रमुख निभाई थी। उस दौरान वह काफी सक्रिय रही थीं। इस पूरी घटना के समय वह काफी सक्रिय रही थीं। उन्होंने इस घटना पर अपनी पैनी नजर बनाए रखी थी। पीएमओ के समक्ष इस पूरी घटना का प्रजेंटेशन दिया था।
प्रयागराज से जया वर्मा का गहरा नाता
जया वर्मा का प्रयागराज से खास रिश्ता है। स्कूल से लेकर स्नातक की शिक्षा उन्होंने प्रयागराज से ही पूरी की है। घर में शुरू से उनके लिए पढ़ने-लिखने का माहौल रहा है। जया वर्मा के पिता वीबी वर्मा सीएजी ऑफिस में क्लास वन के अफसर रहे हैं। यहां तक कि उनके भाई जयदीप वर्मा भी यूपी (उत्तर प्रदेश) रोडवेज के क्लास वन के अफसर रहे हैं। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी की पढ़ाई पूरी की। यहीं से उन्होंने मनोविज्ञान की भी पढ़ाई पूरी की है। जया को फोटोग्राफी और पशु-पक्षियों को पालने का काफी शौक रहा है।
जया वर्मा की पहली नौकरी
जया वर्मा ने अपने करियर की शुरुआत 90 के दशक के दौरान की। 1990 में वह कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर सहायक वाणिज्य प्रबंधक बनीं। अपने काम वह इतनी कुशल रही हैं कि कभी भी उनके कर्मचारियों ने विरोध के लिए किसी भी तरह का कोई आंदोलन नहीं किया। जया वर्मा अपने हर रेलवे कर्मचारी की समस्या को सुनती थीं। ऐसा नहीं है कि केवल सुनने का काम करती थीं, बल्कि वह उसका समाधान भी तलाश करती थीं। इसी वजह से जया वर्मा के कार्यकाल के दौरान कर्मचारियों द्वारा कभी-भी किसी तरह का आंदोलन नहीं किया गया। बांग्लादेश के ढाका में मौजूद भारतीय उच्चायोग (indian high commission) में जया वर्मा रेलवे सलाहकार के तौर पर चार साल तक काम किया है। इस बार यह उम्मीद की जा रही है कि जया के कार्यकाल के समय रेलवे विभाग में कई तरह के सुधार किए जायेंगे।
जमशेदपुर से जया वर्मा का जुड़ाव
बता दें कि साल 1987 के दौरान नीरज सिन्हा और जया वर्मा एक साथ भारतीय रेलवे ट्रैफिक सर्विसेज में अधिकारी बने। इसके लगभग डेढ़ साल बाद दोनों विवाह सूत्र में बंध गए थे। इसलिए जमशेदपुर से उनका जुड़ाव प्रयागराज की तरह ही बेहद खास है। वाकई, जया वर्मा ने न केवल हर पीढ़ी की महिला के समक्ष एक मिसाल है, बल्कि रेलवे के सालों के इतिहास की पहली महिला अध्यक्ष बनकर उन्होंने समाज में नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
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