यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि महिलाओं के लिए रोजगार आर्थिक तौर पर उन्हें प्रबल बनाती है, इसे लेकर हाल ही में एक सर्वेक्षण हुआ है। इससे ज्ञात हुआ है कि वित्तीय आजादी खासतौर पर दिल्ली-एनसीआर की महिलाओं के लिए प्रमुख प्रेरणा है, जिसके कारण वह घरेलू खर्च में 67 प्रतिशत का योगदान दे रही हैं। IndiaLends (इंडियालैंड्स) ने कामकाजी महिलाओं की आर्थिक आदतों को लेकर राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में इस बारे में खुल कर बात की है कि कैसे महिलाएं खुद को दिए गए आर्थिक बल के कारण,खुद में आत्मविश्वास महसूस करती हैं। देश में 21 साल की उम्र से लेकर 65 उम्र के बीच की 10 हजार कामकाजी महिलाओं से बातचीत कर यह जानकारी सामने आयी है। इनमें से 10 प्रतिशत महिलाएं दिल्ली-एनसीआर से थीं। इस सर्वेक्षण में यह जानकारी उभर कर सामने आयी है कि दिल्ली में दो तिहाई यानी कि 67 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं घर खर्च में योगदान है। इनमें से 31 प्रतिशत महिलाएं अपनी आय का आधा हिस्सा परिवार के बजट में खर्च करती हैं। वहीं 70 प्रतिशत से अधिक कामकाजी महिलाएं घरेलू खर्चों में सक्रिय तौर से अपना योगदान देती हैं, हालांकि अभी भी दिल्ली में दो-तिहाई महिलाएं नियमित खर्च को लेकर स्वतंत्र निर्णय लेने के मामले में उलझन महसूस करती हैं, जिसके कारण दिल्ली में महिलाओं के लिए बचत और निवेश के फैसले लेना एक मुश्किल फैसला बन जाता है। इस सर्वेक्षण में पाया गया है कि दिल्ली में लगभग 32 प्रतिशत कामकाजी महिलाओं को निवेश से जुड़े फैसले जटिल लगते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि महिलाओं में आर्थिक साक्षरता नहीं है। इसी सर्वेक्षण में यह ज्ञात हुआ है कि 50 प्रतिशत महिलाओं ने आर्थिक तौर पर खुद को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया के साथ 30 प्रतिशत समाचार लेखों से और 20 प्रतिशत आर्थिक ज्ञान सेमिनार और विशेषज्ञों की मदद से बटोरा है। कुल मिलाकर देखा जाए, तो रोजगार महिलाओं को आर्थिक तौर पर शक्ति देने के साथ समाज में उनके महत्व को देश के आर्थिक विकास के मंच पर ऊपरी पायदान पर पहुंचाता जा रहा है।
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