ग्रामीण इलाकों में पैड बैंक की सुविधा महिलाओं के लिए लाभकारी साबित हुई है। उत्तर प्रदेश और बिहार के कई इलाके ऐसे हैं, जहां पर महिलाएं लंबे समय से कपड़े का इस्तेमाल कर रही हैं। ऐसे में कई महिलाओं को पीरियड्स के दौरान जागरूक करने के लिए कई महिलाएं इसे लेकर काम कर रही हैं और पैड बैंक का निर्माण कर रही हैं। इसी तरफ कदम आगे बढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की प्राइमरी टीचर ने पीरियड्स हाइजीन के लिए एक अनोखी पहल की शुरुआत की है। आइए जानते हैं विस्तार से।
पैड बैंक शुरू करने का सराहनीय कार्य
पीरियड्स के दौरान जरूरी है कि साफ-सफाई का पूरी तरह से ध्यान रखा जाए। महिलाएं इस दौरान घरेलू कपड़े का उपयोग इसलिए करती हैं, क्योंकि वह बाहर जाकर पैसे देकर पीरियड्स पैड लेना सही नहीं समझती हैं। आर्थिक समस्या उनके लिए सबसे बड़ी है। इसी को देखते हुए उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की प्राइमरी टीचर ने महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्या से बचाने के लिए पैड बैंक की स्थापना की है। प्राइमरी स्कूल की राखी गंगवार एक तरफ जहां बतौर शिक्षक बनकर गांव में शिक्षा का प्रसार कर रही हैं, वहीं उन्होंने गांव की महिलाओं के लिए पैड बैंक शुरू करने का सराहनीय कार्य किया है।
सर्वे के बाद पैड बैंक की स्थापना
ज्ञात हो कि सबसे पहले राखी गंगवार ने मदर्स डे के मौके पर 15 मई को पैड बैंक की स्थापना की थी। उन्होंने इस अभियान को नाम देते हुए एक नारा दिया ‘हमारी किशोरी हमारी शक्ति’ । राखी ने पैड बैंक की स्थापना करने से पहले यह जानकारी सर्वे से हासिल की है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं के हालात कैसे हैं, इस सर्वे के दौरान राखी ने जानकारी प्राप्त की है कि गांव की अधिकतर महिलाएं पीरियड्स के दौरान गंदे कपड़े का ही इस्तेमाल कर रही हैं, वहीं कई महिलाएं ऐसी हैं, जो कि पीरियड्स के दौरान स्वच्छता की जानकारी के अभाव के साथ वे सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करना नहीं जानती थीं। कई महिलाएं ऐसी हैं, जो कि पैड क्या होता है, यहां तक कि उसके नाम से भी अनजान हैं, जो कि काफी चौंकाने वाला है।
डॉक्टर के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संपर्क
सर्वे में मिले नतीजों के बाद राखी ने तय किया कि वह पीरियड्स के दौरान महिलाओं को होने वाली समस्या के लिए काम करेंगी। उन्होंने खुद के पैसे से पीरियड्स बैंक की स्थापना की, लगातार महिलाएं पीरियड्स के दौरान होने वाली समस्या के लिए राखी से सलाह भी मांगती हैं और पैड बैंक का भी इस्तेमाल अधिक कर रही हैं। दिलचस्प है कि राखी जिस स्कूल में पढ़ाती हैं, वहां के स्टाफ ने भी इस मुहिम के लिए आगे हाथ बढ़ाया है। खासतौर पर पीरियड्स के दौरान महिलाओं को होने वाली स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों से बचाव के लिए डॉक्टर के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बातचीत भी करवाते हैं, जो कि महिला को जागरूक कर रहा है। गांव में कुछ 80 के करीब परिवार सीधे तौर पर राखी के संपर्क में हैं।
महिलाओं को मिला लाभ
राखी के पैड बैंक में 100 से अधिक महिलाएं रोजाना आती हैं। बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के बतरौलिया में लड़कियां पैड बैंक का कार्य संभाल रही हैं। जिले की स्थानीय लड़कियां इस पैड बैंक का काम बखूबी कर रही हैं। साथ ही अन्य महिलाओं को सेनेटरी पैड इस्तेमाल करने के लिए जागरूक कर रही हैं। इस पैड बैंक का नाम वैष्णवी चैम्पियन किशोरी समूह है। 25 लड़कियां और अन्य महिलाएं इससे जुड़ी हुई हैं। माना गया है कि लड़कियां कॉलेज या स्कूल जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल अधिक करती हैं, उन्हें पीरियड्स के दौरान समस्या होती है, पैड के इस्तेमाल से उन्हें अब यातायात करने में राहत मिली है।
क्या कहती है रिपोर्ट?
मिली जानकारी के अनुसार शहरों में रहने वाली ग्रामीण महिलाएं, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं की तुलना में हाइजीन का अधिक ध्यान रखती हैं। इनकी गिनती 90 प्रतिशत के करीब है, वहीं पीरियड्स के दौरान स्वच्छ तरीकों का उपयोग करने वाले शहर में बिहार में 50 प्रतिशत महिलाएं, मध्य प्रदेश में 61 प्रतिशत, मेघालय में 65 प्रतिशत, तमिलनाडु में 98 प्रतिशत के करीब महिलाएं शामिल हैं। वाकई, वक्त के साथ महिलाओं में जागरूकता लाने का कार्य जिस तरह से महिलाएं कर रही हैं, वो सराहनीय है।
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