काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट (सीएसडी) द्वारा दक्षिण भारतीय राज्यों में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि लड़कियों को कम से कम माध्यमिक स्तर तक शिक्षित करने से बाल विवाह की दर में भारी कमी आ सकती है। अध्ययन के अनुसार भले ही तेलंगाना राज्य के गठन के बाद बाल विवाह में गिरावट आई है, पर फिर भी यह पूरे भारतीय आंकड़े से थोड़ा अधिक है। दक्षिण भारत में सर्वाधिक बाल विवाह वाले जिले तेलंगाना में ही हैं।
नेशनल फैमिली और हेल्थ सर्वे 4 और 5 (NFHS 4 और 5) के दोनों डेटा की बात की जाए तो, दक्षिण भारत में 20 से 24 वर्ष की आयु की महिलाओं का बाल विवाह हुआ है। कुल 120 जिलों, तेलंगाना में 31, कर्नाटक में 30, आंध्र प्रदेश में 13, केरल में 14 और तमिलनाडु में 32 को अध्ययन में शामिल किया गया है। यह आंकड़ें हाल ही में रमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और एंटी चाइल्ड लेबर प्रोटेस्टर, प्रोफेसर शांता सिन्हा द्वारा जारी किया गया है।
अध्ययन ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि लगभग आधी महिलाएं, जिनके पास कोई शिक्षा नहीं थी या 5 साल से कम की शिक्षा थी, उनकी शादी 18 साल की उम्र से पहले कर दी गई थी। यही आंकड़ें 12 या अधिक वर्षों की शिक्षा वाले लोगों में कम थी। केरल में 3.3%, तमिलनाडु में 6.5%, तेलंगाना में 9.3%, आंध्र प्रदेश में 8.8% और कर्नाटक में 8.3% महिलाएं, जिन्होंने 12 साल या उससे ज्यादा की पढ़ाई की है और उनकी शादी 18 साल के उम्र के बाद हुई है।
सीएसडी में सहायक प्रोफेसर सौम्या विनयन का कहना है कि लड़कियों की माध्यमिक शिक्षा पर जोर देना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
नेशनल फैमिली और हेल्थ सर्वे -3 (NFHS-3) के तहत आंध्र प्रदेश ने पिछले दौर की तुलना में लड़कियों की शादी की उम्र में मामूली वृद्धि की है। 2014 में तेलंगाना बना था इसलिए, तब से नेशनल फैमिली और हेल्थ सर्वे हर साल बाल विवाह की घटनाओं के आंकड़ें प्रदान करते हैं।
एनएफएचएस-5 का सर्वे जो साल 2019-2021 को हुआ, इसके तहत भारत में 18 साल की उम्र से पहले शादी करने वाली महिलाओं की संख्या 23.3% थी। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों में एससी और एसटी के बीच बाल विवाह अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों की तुलना में अधिक हुए हैं।
तमिलनाडु में 15.2% और केरल 8.2% की तुलना में बाल विवाह के आंकड़ें आंध्र प्रदेश में 32.9%, तेलंगाना में 27.4% और कर्नाटक में 24.7% बढ़े हुए थे।