भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने महिलाओं की हाइजीन यानी साफ-सफाई को लेकर एक महत्वपूर्ण बात कही है। जी हां, डी वाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को इस बात पर जोर देकर कहा है कि जिला न्यायपालिका को बुनियादी ढांचे के मोर्चे पर व्यापक सुधारों की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा अपने सम्मान में दर्शकों को संबोधित करते हुए, सीजेआई ने उन उदाहरणों पर प्रकाश डाला है, जहां कई महिला जिला न्यायाधीशों के पास शौचालय तक सही मायने में पहुंच ही नहीं है। उन्होंने कहा कि वे सुबह 8 बजे घर से निकलती हैं और शाम 6 बजे घर लौटने पर ही सुविधाओं का उपयोग कर पाती हैं।
उन्होंने इस बारे में विस्तार से अपनी बात को रखते हुए कहा कि महिला जिला न्यायाधीशों के पास कोई शौचालय नहीं है और वे सुबह 8 बजे घर से निकल जाती हैं और शाम में 6 बजे घर लौटने पर ही एक उपयोग कर सकती हैं। कुछ के लिए तो वॉशरूम( शौचालय) कोर्ट रूम से दूर होते हैं, इसलिए जब जज को शौचालय का उपयोग करना होता है, तो उन्हें बैठे हुए अंडरट्रायल के पास से गुजरना होता है, जो एक जज के लिए बहुत शर्मनाक होता है। इसलिए हमें सबसे पहले जिला न्यायपालिका के लिए इस तस्वीर को बदलना होगा।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने जोर देकर कहा कि जिला न्यायपालिका हमारी न्यायिक प्रणाली की आधारशिला है और हमें उनमें आत्म-मूल्य की व्यवस्था को शामिल करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत का एक मुख्य न्यायाधीश के लिए समानता को प्राथमिकता प्रमुख बात होती है। और उनका उद्देश्य शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीशों के सामूहिक ज्ञान का दोहन करना है।
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