छत्तीसगढ़ में महिलाओं के समूह ने पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए एक अनोखी पेंसिल तैयार कर रही हैं। जी हां, छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के भेलसर गांव की वेद माता गायत्री गौशाला की महिला समूह की महिलाएं खुद के लिए ऐसा रोजगार का अवसर खोजा है, जो पर्यावरण को भी एक बेहतर दिशा की तरफ लेकर जा रहा है। वे सभी बीते 25 सालों से गौशाला में मौजूद गोबर और गोमूत्र से कई सारे प्रोडक्ट का निर्माण कर रही हैं। वे सभी मिलकर गणेश मूर्ति, जार माला, अगरबत्ती, केंचुआ खाद दंत मंजन के साथ कई सारे प्रोडक्ट को बनाने का काम कई सालों से कर रही हैं। इस बार गौशाला की महिलाओं ने एक नई सामग्री का निजात किया है। इन सभी महिलाओं ने पर्यावरण संरक्षण की सुरक्षा को देखते हुए इको फ्रेंडली पेंसिल बनाई है। इस पेंसिल को बनाने का तरीका भी काफी दिलचस्प है। पेंसिल को बनाने के लिए महिलाओं ने 5 रुपए में कागज से बनी पेंसिल खरीदी। इस पेंसिल के अंत के भाग पर आम, बरगद, गुलमोहर के साथ सब्जियों के बीज को चिपका कर एक स्टीकर लगा दिया है। पेंसिल बनाने की पूरी प्रक्रिया के पीछे की वजह यह है कि जब भी बच्चे पेंसिल का उपयोग करके इसे मिट्टी में फेंकते हैं, तो पेंसिल के अंत के बीज के हिस्से से पौधे का निर्माण हो सकता है। ज्ञात हो कि नए तरीके से पेंसिल का निर्माण करने के लिए महिलाओं ने प्रत्येक पेंसिल के पीछे 7 रुपए खर्च किए हैं। गायत्री गौशाला की महिला समूह की महिलाएं प्रत्येक पेंसिल को 10 रुपए में बेच रही हैं। बाजार में महिलाएं इस तरह की 300 पेंसिल को बेच चुकी हैं, हालांकि महिलाओं ने जिस तरह से खुद के लिए रोजगार के साथ पर्यावरण की सुरक्षा को देखते हुए जिस तरह की सोच अपनाई है, वह वाकई काबिल ए तारीफ है।
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