भारत के ग्रामीण इलाकों में लगातार जलवायु परिवर्तन से जंग जीतने की लगातार कोशिश कर रही हैं। ऐसे में जो काम छत्तीसगढ़ की गुंडरदेही ब्लॉक की ग्राम पंचायत की महिलाएं कर रही हैं, वह अनोखी बात है। दरअसल, श्री गणेशाय स्व सहायता समूह की महिलाएं गोधन न्याय योजना के तहत गौठान में बनाये जा रहे वर्मी कम्पोस्ट की पैकिंग के लिए प्रिंटेड बोरी का निर्माण कर रही हैं। सबसे खास बात यह है कि यह महिलाओं के लिए रोजगार का माध्यम बन रहा है, क्योंकि महिलाएं इससे एक लाख से भी ज्यादा की कमाई कर रही हैं और उन्हें काफी लाभ भी हो रहा है। गौरतलब है कि वर्मी कम्पोस्ट की पैकिंग के लिए लगभग अब हर गौठानों में करना आसान हो गया है। अब जिले में गोधन न्याय योजना की शुरुआत हुई। दरअसल, जैसे ही गौठानों में वर्मी खाद का उत्पादन शुरू हुआ, वहां गौठानों में बोरियों की जरूरत पड़ी, जिसकी वजह से इस समूह को मशीन उपलब्ध कराये गए और अब लगातार यहां महिलाएं बोरी का निर्माण कर रही हैं। खास बात यह है कि ये बोरियां अधिक महंगे नहीं बेचे जा रहे हैं, इन्हें 12. 50 रुपये में बेचा जा रहा है, जो कि बाजार में अमूमन 18 से 20 रुपये में मिलती हैं। यहां की बोरियां वहां के सभी गौठानों में भेजी जा रही है।
बताते चलें कि शुरुआत में इन महिलाओं के लिए यह काम करना आसान नहीं था, उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, उन्हें कर्ज लेकर काम करना पड़ता था। लेकिन अब उनकी आर्थिक स्थिति में काफी बदलाव हो चुका है। साथ ही यहां महलाओं को अब काम करने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती है, इन्होंने गांव में रहते हुए आय के साधन जुटाए हैं, जिसकी वजह से वे अपने परिवार की जिम्मेदारियों को भी निभा पा रही हैं।
वाकई, यह एक शानदार तरीका है कि महिलाएं पर्यावरण को भी बचा पा रही हैं और आय का भी माध्यम बना पा रही हैं।
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