छत्तीसगढ़ की महिलाएं लगातार पर्यावरण के संरक्षण के लिए काम कर रही हैं और कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही हैं। वे पर्यावरण के करीब रहने के कई सारे माध्यम चुन रही हैं, ऐसे में जब यह खबर सामने आई है कि छत्तीसगढ़ की महिलाएं मिर्ची की खेती के माध्यम से भी खुद को स्वरोजगार दे रही हैं, तो यह बातें तसल्ली देती हैं। यह बात वाकई दिलचस्प है कि काजू, नाशपाती, लीची और चाय की खेती के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के जशपुर क्षेत्र के किसान पत्थलगांव क्षेत्र में टमाटर उगाने और बड़ी मात्रा में मिर्च और आलू की खेती में भी लगे हुए हैं। दिलचस्प बात है कि ग्राम पंचायत मनोरा में उजाला स्व-सहायता समूह की महिलाएं मिर्च की भी खेती कर रही हैं और खुद के लिए रोजगार का माध्यम चुन रही हैं और आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ रही हैं। गौरतलब है कि जशपुर जिला प्राकृतिक सौंदर्य वाला प्रदेश माना जाता है। प्रदेश के कई खूबसूरत हरे-भरे पेड़, नदियां, झरने, पहाड़ और झरने राज्य भर के लोगों को आकर्षित करते हैं। गर्मी के मौसम में जशपुर जिला प्राकृतिक सौंदर्य की तलाश कर रहे लोगों के लिए एक खूबसूरत छुट्टियां बिताने का खास स्थान बन जाता है।
इस क्षेत्र की सबसे बड़ी खूबी यह है कि हरियाली के कारण गर्मियों में तापमान सुखद रहता है और समतल क्षेत्र होने के कारण हरी मिर्च के उत्पादन में वृद्धि होती है, इसलिए यहां बड़े पैमाने पर मिर्ची की खेती होती है। यहां अच्छे किस्म की मिर्ची उगाई जाती है और यही वजह है कि जशपुर की मिर्च रायपुर, बिलासपुर, भिलाई और दुर्ग जैसे शहरों में बेची जाती है। यही नहीं मिर्च को उत्तर प्रदेश, झारखंड और दिल्ली में भी बड़ी मात्रा में निर्यात किया जाता है। यह उल्लेखनीय पहलू है कि मिर्च की खेती जशपुर के किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है और इसकी वजह से इनकी जिंदगी में काफी सुधार हो रहा है।
इन महिलाओं द्वारा उत्पादित मिर्च की स्थानीय बाजार के साथ-साथ जिले के बाहर भी भारी मांग है। स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने अब तक 8 क्विंटल मिर्च बेची है, जिससे उन्हें लगभग 64000 रुपये की आमदनी हुई है।
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