सरकार ने सभी राज्यों में कक्षा पहली में प्रवेश करने के लिए न्यूनतम उम्र 6 वर्ष करने का निर्णय लिया है। इससे पहले सभी राज्यों में कक्षा पहली में शामिल होने की उम्र अलग-अलग तय की गई थी। इसे लेकर कोई तय नियम नहीं बनाया गया था, लेकिन अब इस नए नियम के तहत सभी राज्यों में कक्षा पहली के विद्यार्थियों के दाखिले होंगे। यह योजना इस अनुसार लाई गई है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा में लाए गए सुधार को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने बुनियादी शिक्षा में बदलाव पर जोर दिया है। तीन साल से लेकर छह साल के उम्र के बच्चों को औपचारिक स्कूली शिक्षा के 10+2 के ढांचे में शामिल नहीं किया है। इसके साथ ही नई स्कूली शिक्षा संरचना के तहत तीन से आठ साल के उम्र के बच्चे मूलभूत खंड के अंतर्गत आते हैं, जिसमें 3 साल के प्री-स्कूल और दो साल का प्राथमिक स्कूल भी शामिल है। शिक्षा मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नीति के साथ प्रवेश की अपनी आयु को कक्षा पहली के लिए छह वर्ष करने का निर्देश दिया गया है। इसके लिए सभी बच्चों को तीन साल की गुणवत्तापूर्ण पूर्व स्कूली शिक्षा तक पहुंचना जरूरी है, फिर चाहे वे आंगनवाड़ी में पढ़ रहे हों या फिर किसी सरकारी और गैर सरकारी से शिक्षा प्राप्त कर रहे हों। ज्ञात हो कि आंध्र प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा, गोवा, झारखंड, कर्नाटक और केरल में न्यूनतम उम्र पांच से अधिक है। पिछले शैक्षणिक वर्ष में केंद्रीय विद्यालयों में छह और छह से अधिक का नियम लागू किया गया है। जाहिर सी बात है कि सरकार के इस फैसले से बुनियादी शिक्षा में सुधार दिखाई देगा।