बचपन पर भारी स्कूल के बस्ते का बोझ कितना अहम विषय है, इसे लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपनी बात एक जनहित याचिका के जरिए स्प्ष्ट की है। हाल ही में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने स्कूल बैग के वजन को कम करने वाली याचिका पर विचार कर नई जनहित याचिका दायर करने की अनुमति दी है। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि केंद्र सरकार की स्कूल बैग पॉलिसी ऑफ इंडिया को कर्नाटक में नहीं लागू किया जा रहा है। इस पर अपना निर्णय सुनाते हुए उच्च न्यायालय का कहना है कि याचिकाकर्ता ने स्कूल बैग को लेकर अस्पष्ट जनहित याचिक पेश की है, साथ ही यह भी कहा है कि याचिकाकर्ता इस मामले में एक नई जनहित याचिका दायर करें। चीफ जस्टिस प्रसन्ना बी वराले और जस्टिस एमजीएस कमल की खंडपीठ ने स्कूल बैग की याचिका पर चर्चा के दौरान कहा है कि ऐसा मालूम होता है कि यह याचिका जल्दबाजी में दायर की गई है, इसलिए इसमें आवश्यक जानकारी जुटाई नहीं गई है। जरूरी है कि सभी आवश्यक सूचनाओं के साथ एक नई जनहित याचिका दायर करें। कोर्ट ने आगे कहा है कि याचिका के सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर याचिका में स्कूल बैग को लेकर अधूरा प्रयास किया गया है। यह एक गंभीर मुद्दा चिंता का विषय है। याचिकाकर्ता से यह अपेक्षा की गई थी कि वह पूरी जानकारी और रिकॉर्ड सामग्री जुटाकर फिर अदालत में अपनी सुनवाई लेकर आए। फिलहाल, हम इस याचिका पर विचार करने में असमर्थ हैं। गौरतलब है कि याचिकाकर्ता के अनुसार सभी राज्यों के लिए इस नीति का पालन करना अनिवार्य था। वाकई, बच्चों के भारी बस्ते का बोझ उनके मासूम बचपन को दबावपूर्ण बना दिया है।
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