आजादी के 75 वें अमृत महोत्सव ने दिया महिलाओं को आत्मनिर्भरता और अपनेपन का जश्न मनाने का मौका
आजादी के अमृत महोत्सव की पूरे भारत में गूंज है, खासतौर से इस वर्ष ‘हर घर तिरंगा’ थीम के साथ महिलाएं, सामने आयी हैं और उन्होंने जिस तरह से बढ़-चढ़ कर न सिर्फ इसमें हिस्सा लिया है, बल्कि अपनी कल्पशीलता भी दर्शायी है। पूरे भारत में महिलाओं ने बिगुल बजाया है और घर-घर तिरंगा पहुंचे, इसके लिए लगातार योगदान दिया है। आइए जानें इन महिलाओं के प्रयास को, जिन्होंने इस गौरवशाली दिन के शान को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। खास बात यह भी है कि इस थीम ने कई महिलाओं के लिए इसे आय का भी स्रोत बनाया है। ऐसे में आइए एक नजर में देखें कि पूरे देश के अलग-अलग हिस्से में महिलाओं के लिए, कैसे यह महोत्सव खास बन गया है।
तमिलनाडु राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (TNSRLM) के कोयंबटूर डिवीजन ने जिले में वितरण के लिए 50,000 राष्ट्रीय झंडे सिलने के लिए जिले में महिलाओं ने अपना योगदान दिया है। अलग-अलग पांच समूहों ने मिल कर इस काम को अंजाम दिया है। वहीं तमिलनाडु के सिवसैलम में अव्वै आश्रम, जो कि गांधीग्राम ट्रस्ट का हिस्सा है, उन्होंने भी अद्भुत काम किया है। उन्होंने खादी के बने राष्ट्रीय ध्वज को अहमियत दी है और उसका सम्मान किया है। उन्होंने ऐसा करके खादी, जो कि भारत की मेक इन इंडिया और महिलाओं की आत्मनिर्भरता को भी सपोर्ट करता है, इसे भी बढ़ावा दिया है। उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 5000 खादी के बने राष्ट्रीय ध्वज को मुफ्त में बांटने का निर्णय लिया है।
वहीं केरल में भी महिलाएं, इस उत्सव कैम्पेन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं।
केरल के कुदुम्बश्री में 50 लाख से अधिक राष्ट्रीय ध्वज बनाये गए हैं। इसके लिए 235 महिलाओं ने एक साथ मिल कर सहयोग दिया है। यहां की महिलाओं का मानना है कि उनके लिए यह मौका देश के लिए कुछ करने का तो है ही, साथ ही यह काम उनके लिए सम्मान का एहसास भी लेकर आया है। उन्हें इस बात की खुशी है कि देश भर में जहां भी उनके बनाये झंडे लहरायेंगे, उन्हें देख कर गर्व तो महसूस तो जरूर ही होगा। इस कैम्पेन में झारखंड राज्य भी पीछे नहीं हैं, वहां के गोड्डा जिले की 350 महिलाओं ने एक लाख तिरंगा ध्वज बनाया है।
मुंबई शहर के प्रभादेवी इलाके में भी भूपेश गुप्ता भवन में एक से बढ़ कर, आर्टिस्ट इस कैम्पन से जुड़ रहे हैं। पेंटिंग, परफोर्मिंग आर्ट, शेड्स लाइट के माध्यम से अपने कला का प्रदर्शन किया है।
वहीं कश्मीर के कवारी और कुनान पोशपोरा गांव की लगभग 50 महिलाओं ने आर्मी जवानों की मदद से तिरंगा निर्माण का काम किया है। यह तिरंगा, बाकी तिरंगों से यूनिक भी है। वजह यह है कि इस पर बने कढ़ाई किये गए अशोक चक्र इसे खास बना रहे हैं और इसमें बेहद खूबसूरत पारंपरिक कश्मीरी कला दर्शाई गई है। गौरतलब है कि यह विचार इंडियन आर्मी की तरफ से ही आया था, जिन्होंने महिलाओं को काम देने के लिए, यह छोटे ही सही प्रयास किये। लगभग 30 लड़कियां हर दिन 60 तिरंगे बना रही हैं और यह सारे ध्वज या तिरंगों पर अशोक चक्र वाली कारीगरी कमाल लग रही है।
यही नहीं आंध्र प्रदेश के रामचंद्रपूरम शहर के कोनसीमा जिले की महिलाओं ने भी अद्भुत काम किया है, इस कैम्पेन को सपोर्ट करते हुए 3000 महिलाओं ने राष्ट्रीय ध्वज लेकर रैली में हिस्सा लिया और आजादी के सौहार्द पर्व का जश्न मनाया।
वाकई, मानना होगा कि देश भर में महिलाएं, इस कैम्पेन के माध्यम से एक दूसरे के लिए सहारा बनी हैं, भले ही भारत में अलग-अलग राज्यों में महिलाओं ने अपने तरीके से यह कैम्पेन चलाया हो, लेकिन सभी का मकसद क्योंकि एक है, तो कहीं न कहीं, यह कैम्पेन आपसी प्रेम और अपनत्व का भी रहा और इस कैम्पेन ने कहीं न कहीं भावनात्मक रूप के साथ-साथ छोटी ही सही, लेकिन महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता का एक माध्यम बना है, वाकई, यह जश्न महिलाओं की उसी आत्मनिर्भरता के नाम है और यह जश्न आगे भी बरकरार रहना चाहिए।