असम के कामरूप, जो कि एक ग्रामीण जिला है, इसके दो ब्लॉक्स की महिलाओं के लिए सुपारी के ताड़ के पेड़ों के कचरे घर चलाने का जरिया बन गए हैं। वे इन कचरों को खाने की प्लेट और अन्य सामानों में बदल कर बेच रही हैं। इस काम की वजह से वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो रही हैं। गौरतलब है कि बायोडिग्रेडेबल डिस्पोजेबल डिनरवेयर स्टायरोफोम और प्लास्टिक जैसी सामग्री के कारण होने वाले प्रदूषण की चिंता को भी संबोधित करते हैं। असम की राजधानी दिसपुर से 40 किमी दूर जिले के चायगांव और बनगांव ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले गांवों में सुपारी के पेड़ लगे हैं, जिन्हें पहले केवल तामूल (सुपारी) के लिए एक स्रोत माना जाता था। इसके छिलकों का घरों की अस्थाई चारदीवारी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
35 वर्षीय सोनोती राभा ने पीटीआई को बताया, ‘’हमने कभी नहीं सोचा था कि कचरे के ढेर का इस्तेमाल उन उत्पादों के निर्माण में किया जा सकता है, जिनकी न केवल राज्य में बल्कि पूरे देश में मांग है और ये हमें जीविकोपार्जन में मदद करते हैं।’’
प्रोजेक्ट प्रगति के एनजीओ, धृत्ति - द करेज विदइन के तहत यह पहल लगभग चार साल पहले दो ब्लॉकों में शुरू की गई थी। संगठन के संस्थापक अनिर्बन गुप्ता ने इस बारे में बात करते हुए कहा, “जब यह विचार पहली बार लोगों के बीच लाया गया था, तो कोई भी विश्वास नहीं कर सकता था कि एक बेकार सामग्री को ऐसे उत्पाद में परिवर्तित किया जा सकता है, जिसका न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में एक लाभदायक बाजार है।’’
पिछले चार वर्षों में, इस परियोजना ने सुपारी निर्माण क्लस्टर बनाने में मदद की है, जिसमें 30 महिला उद्यमी घर पर इस्तेमाल किये जाने वाली चीजों को बना पाने में सक्षम हुई हैं। अन्य 350 महिलाएं कच्चे माल के संग्रहकर्ता और मशीन ऑपरेटर के रूप में लगी हुई हैं। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्तर पर ग्रामीण महिलाओं की आय में वृद्धि करना है। उन्होंने कहा कि इनमें से अधिकतर महिलाओं के लिए यह पहला अवसर है कि वे अपना व्यवसाय करें और स्वतंत्रता महसूस करें। यहां काम कर रही कई महिलाओं में से एक, अल्पना दास ने कहा कि वे खाने की थाली बनाकर रोजाना 200-250 रुपये कमाती हैं और इससे उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है।
अनिर्बन गुप्ता ने बताया कि सुपारी के म्यान से बने डिनरवेयर काफी समय तक चलते हैं। यह स्वच्छ, बायोडिग्रेडेबल और माइक्रोवेव सुरक्षित होते है। पर्यावरण के अनुकूल डिस्पोजेबल प्लेट बनाने के लिए यह सुखाने, छंटाई, सफाई, उत्पादन, पैकेजिंग, और सबसे बढ़कर मार्केटिंग की प्रक्रिया से गुजरता है। इस पूरी गतिविधि में कई लोगों की आवश्यकता है और ऐसे में कई महिला उद्यमियों के लिए यह एक व्यवसाय बन गया है।
दरअसल, प्लेटों का उत्पादन कोई आसान काम नहीं है। यह समय लेने वाला है। कच्चे माल को इकट्ठा करने से लेकर पैकिंग करने तक में काफी मेहनत और समय लगता है। एक अन्य उद्यमी दीपज्योति राभा ने कहा, हम कच्ची चादरें धूप में सूखने के लिए छोड़ देते हैं, लेकिन अचानक बारिश होने पर हमें तुरंत हर म्यान को इकट्ठा करना पड़ता है, नहीं तो यह सड़ जाएगा।प्रोडक्ट्स का मार्केट, तामुल प्लेट्स मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड (TPMPL) नामक कंपनी के साथ स्थापित किया गया है। प्रोडक्ट्स को महिला उद्यमियों के घर से महीने में एक बार उठाया जाता है, जबकि भुगतान खरीद के 20 दिनों के भीतर किया जाता है।