एक्शन रिसर्च एंड ट्रेनिंग फॅार हेल्थ ARTH (अर्थ) के अध्ययन अनुसार यह जानकारी हासिल हुई है कि ग्रामीण राजस्थान में 84 प्रतिशत महिलाओं ने मेंस्ट्रुअल कप को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाया है। एक रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर एक रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट इस पर आधारित थी कि भारत को सेनेटरी पैड से आगे बढ़ने की आवश्यकता क्यों है? इस रिपोर्ट में उपयोगकर्ताओं ने मेंस्ट्रुअल कप को उपयोग करने के बाद अपने अनुभव को साझा किया है। इसके बाद अधिकांश महिलाओं ने पाया है कि पीरियड्स के दौरान मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग करने से उनकी कार्यकुशलता में सुधार हुआ है। उनके लिए मेंस्ट्रुअल कप सहज पर्याय बन गया है। महिलाओं ने अपना अनुभव साझा करने से पहले जनवरी 2022 और मार्ट 2023 के बीच मेंस्ट्रुअल कप की खरीदी की। इसके बाद लगभग 84.4 प्रतिशत महिलाओं ने तीन महीने तक इसका इस्तेमाल किया। दिलचस्प यह है कि कम उम्र की लड़कियों की मेंस्ट्रुअल कप की खरीदी की संख्या अधिक पाई गई है। इस पूरे अध्ययन में यह भी चौंकाने वाली जानकारी सामने आयी है कि एक महिला अपने जीवनकाल में अगर सेनेटरी पैड का उपयोग करती हैं , तो वह 14.1 किलोग्राम गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा उत्पन्न करती हैं, वहीं अगर महिलाएं मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग करती हैं, तो वह गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरे के उत्पादन को 99 प्रतिशत तक कम कर देती हैं, जो कि पर्यावरण के साथ महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर माना गया है।