एनजीओ 'द टेम्पल ऑफ हीलिंग' के सचिव पीयूष सक्सेना ने व्यक्तिगत रूप से एएसजी को अपनी याचिका साझा की और मंत्रालय में अधिकारियों को अपने सुझाव दिए और बताया कि गोद लेने की प्रक्रिया को कैसे सरल बनाया जाए। हाई कोर्ट ने कहा था कि वह पहले एनजीओ की इस मांग के बारे में आशंका में थे, लेकिन जब उन्हें एनजीओ की ओर से आए पीयूष सक्सेना के बारे में पता चला, जिसने इस मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए एक बड़ी कॉर्पोरेट फर्म में अपनी नौकरी छोड़ दी है, तो इस पर नोटिस जारी किया गया। 11 अप्रैल को हाई कोर्ट ने भारत में बच्चे को गोद लेने के लिए कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की, यह कहते हुए कि शायद इसी वजह से देश में सालाना केवल 4,000 बच्चे एडॉप्ट होते हैं।
एनजीओ की ओर से आए पीयूष सक्सेना ने कहा कि उन्होंने बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को कई बार आवेदन किया था, लेकिन अब तक कुछ भी नहीं हुआ है। पीयूष सक्सेना ने प्रस्तुत किया था कि सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार सालाना केवल 4,000 बच्चे गोद लिए जाते हैं लेकिन, पिछले साल तक देश में तीन करोड़ अनाथ बच्चे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस बात पर जोर दिया कि भारत में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया को व्यवस्थित करने की जरूरत है क्योंकि सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) के तहत एक बच्चे को गोद लेने के लिए तीन से चार साल की प्रतीक्षा अवधि होती है, जबकि लाखों बच्चे गोद लिए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। अदालत ने पहले भी इस प्रक्रिया को "बहुत लम्बा प्रोसेस" करार दिया था और कहा था कि प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करने की तत्काल आवश्यकता है।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा, ''कई युवा जोड़े बच्चे को गोद लेने की प्रतीक्षा कर रहे हैं लेकिन यह प्रक्रिया इतनी कठिन है कि इसमें तीन से चार साला का समय लग जाता है। सीएआरए के माध्यम से एक बच्चे को गोद लेने के लिए वर्षों लग जाते हैं। क्या आप भारत में एक बच्चे को गोद लेने के लिए तीन से चार साल की अवधि की कल्पना कर सकते हैं? इसे आसान बनाया जाना चाहिए। लाखों अनाथ बच्चे गोद लिए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं"।
नटराज ने कहा कि सरकार से देश में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एक सरकारी संगठन द्वारा दायर याचिका पर जवाब देने के लिए छह सप्ताह का समय मांगा है। अदालत ने उन्हें बाल विकास मंत्रालय के किसी जिम्मेदार व्यक्ति को बैठक पर बुलाने और एनजीओ 'द टेंपल ऑफ हीलिंग' के सुझावों पर गौर करके एक रिपोर्ट बनाने के लिए कहा है जिसे अदालत अक्टूबर में अदालत में पेश किया जाएगा।