लैंगिक असमानता और महिला सशक्तिकरण ऐसे लक्ष्य नहीं हैं, जिन्हें आप एक दिन में हासिल कर लेते हैं। हर साल, भारत जैसे विकासशील देश लैंगिक अंतर को कम करने के लिए हर संभव मोर्चों पर प्रयास करते हैं। ऐसे में, अक्सर, हम किसी विशेष वर्ष में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने से चूक सकते हैं, लेकिन हर नए साल के साथ बेहतर करने का एक नया मौका आता है। सो वर्ष 2022 में, भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का 17वां जेंडर बजट प्रकाशित किया, जिसमें महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास पर देश का ध्यान केंद्रित करने के लिए 1,53,326.28 करोड़ रुपए का भारी आवंटन किया गया।
बजट में कुछ नई योजनाओं की शुरुआत की गई और महिलाओं को लाभ पहुंचाने वाली मौजूदा योजनाओं पर प्रकाश डाला गया। हालांकि, समग्र लिंग बजट 2021-2022 के संशोधित अनुमानों के सकल घरेलू उत्पाद के 0.71 प्रतिशत से घटकर चालू वित्त वर्ष में बजट अनुमान का 0.66 प्रतिशत हो गया था। हालांकि यह कमी मामूली लग सकती है, लेकिन इसका मतलब उन महिलाओं के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, जो अभी भी कोविड 19 के विनाशकारी प्रभाव से उभर रही हैं।
इसलिए, जबकि वर्ष 2022-2023 के जेंडर बजट ने बहुत कुछ वादा किया था, वर्ष 2023 में सुधार के लिए निश्चित उम्मीदें जरूर हैं। तो यहां बजट में शुरू की गई कुछ नई महिला-केंद्रित योजनाओं पर करीब से नजर डाली गई है, जिन पर वर्ष 2023 में ध्यान देने और इन्हें दृढ़ता से पूरा करने पर जोर देना चाहिए।
सक्षम आंगनवाड़ी
1975 में शुरू की गई, भारत की आंगनवाड़ी प्रणाली विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में 1.4 मिलियन महिलाओं को रोजगार देती है। बजट में नए लॉन्च किए गए सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 कार्यक्रमों के लिए 20,263 करोड़ रुपये की संयुक्त राशि समर्पित की गई है, जो वर्ष 2021-2022 में 20,105 रुपये से थोड़ी-सी बढ़ी। सक्षम आंगनवाड़ी कार्यक्रम का उद्देश्य दो लाख आंगनवाड़ी को बढ़ावा देना है, ताकि उनके महिला-नेतृत्व वाले कार्यबल को बेहतर बुनियादी ढांचे और ऑडियो-विजुअल माध्यम के साथ स्वच्छ ऊर्जा द्वारा संचालित किया जा सके और प्रारंभिक बाल विकास के लिए बेहतर वातावरण प्रदान किया जा सके। वर्ष 2023 में, इस योजना से ग्रामीण भारत में आंगनवाड़ी महिलाओं के साथ-साथ बच्चों को भी लाभ मिलने की संभावना है।
https://www.hercircle.in/engage/get-induced/achievers/invisible-yet-impactful-how-anganwadi-women-workforce-imparts-health-nutrition-education-3426.html
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा)
मनरेगा पहले से ही मौजूद एक योजना है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं को लाभ मिल रहा है। इस योजना का उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार, विशेष रूप से महिलाओं के लिए एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की गारंटीशुदा मजदूरी रोजगार प्रदान करके आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है। गौरतलब है कि वर्ष 2022-2023 के बजट में मनरेगा के आवंटन में 20 फीसदी की जबरदस्त कटौती की गई थी। महामारी के मद्देनजर, इस कमी को कई विशेषज्ञों द्वारा ग्रामीण महिलाओं की आजीविका पर क्रूर प्रभाव के रूप में व्याख्यायित किया गया है। वहीं 2023 में, विशेष रूप से 2023-2024 के वित्तीय बजट में, विशेषज्ञों को उम्मीद है कि महिलाओं के लाभ के लिए यह घाटा दूर हो जाएगा।
जल जीवन मिशन
क्या आप जानते हैं कि भारत एक बड़े जल संकट का सामना कर रहा है, और इसका बोझ काफी हद तक महिलाओं और लड़कियों पर पड़ता है, जिससे उनका भविष्य खराब हो जाता है। इस संकट के बारे में अधिक जानने के लिए, जल संकट और महिलाओं पर इसके प्रभाव पर बनी हमारी डॉक्यूमेंट्री देखें। https://www.hercircle.in/exclusive/theme/spotlight/her-burden-women-and-indias-water-crisis-2951.html
तो ऐसे में सरकार ने पीने योग्य नल का पानी उपलब्ध कराकर इस बोझ को कम करने के लिए जल जीवन मिशन शुरू किया। यानी वर्ष 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार के लिए है यह मिशन । वर्ष 2022-2023 के बजट में, सरकार ने 3.8 करोड़ परिवारों को नल का पानी उपलब्ध कराने के लिए इस योजना के तहत 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए। यह 2021-2022 के बजट की तुलना में तीन गुना अधिक बजट वृद्धि थी, और तकनीकी सहायता, संसाधन उपयोग और सुव्यवस्थित निविदा प्रक्रियाओं में मदद करने वाली है। जबकि इस योजना से महिलाओं को लाभ होने की संभावना है, वर्ष 2023 में अभियानों के माध्यम से इस मुद्दे को और उजागर करके प्रभाव को बढ़ाया जा सकता है।
पीएम-किसान और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई)
क्रमशः वर्ष 2016 और वर्ष 2019 में लॉन्च की गई PMFBY और PM-KISAN योजनाएं मूल रूप से भारत के किसानों के लाभ के लिए हैं। यह देखते हुए कि भारत में प्रेरक महिलाएं हैं, योजनाओं से उन्हें सबसे अधिक लाभ होने की उम्मीद है। पीएम-किसान योजना के तहत, सरकार ने जनवरी वर्ष 2022 में 11.74 करोड़ से अधिक किसानों को 1.82 लाख करोड़ रुपये जारी किए, जबकि दिसंबर 2022 तक 11 करोड़ से अधिक पात्र किसानों को 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक जारी किए गए। सरकार ने यह भी खुलासा किया कि इसके तहत PMFBY, दिसंबर 2022 तक 12.24 करोड़ (अनंतिम) किसानों को कुल ₹1,28,522 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई थी। ये राशि वास्तव में प्रभावशाली हैं, लेकिन 2023 में उचित कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महिला किसान इन योजनाओं तक पहुंच बनाने में सक्षम हैं।
मौजूदा उद्यमी योजनाएं जिन पर प्रकाश डाला जाना चाहिए
ऐसे में जबकि भारत सितंबर में नई दिल्ली में आयोजित होने वाले 2023 G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, तथ्य यह है कि शिखर सम्मेलन विश्व स्तर पर काम के प्रमुख क्षेत्रों में से एक बिंदू पर ध्यान केंद्रित करेगा जो कि महिला उद्यमिता है। दरअसल, महिला उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना कुछ ऐसा है, जिस पर सभी G20 राष्ट्र ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, और भारत को इस दिशा में अपने प्रयासों को बढ़ाने की आवश्यकता है। प्रधान मंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई), प्रधान मंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई), स्टार्टअप इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया योजनाओं सहित कई योजनाएं भारत में पहले ही लागू हो चुकी हैं। 2023 में, राष्ट्र, सरकार और प्रत्येक नागरिक को इन योजनाओं के कार्यान्वयन में कई गुना सुधार करने के लिए अपनी भूमिका निभानी चाहिए, ताकि हर महिला उद्यमी को संभावित रूप से लाभ मिल सके।